जी हां सही देख और पढ़ रहे है आप लोग
ये योगी सरकार की नाकामी कहें या उनके राज तंत्र में बैठे मंत्रियों व सलाहकारों की कार्य अकुशलता ।
जहां एक तरफ Corona महामारी ने देश को त्रस्त कर दिया वहीं सरकार ने भी कोई कसर नहीं छोड़ा ,
इनके अपने ही विभाग एक दूसरे से ऐसे बर्ताव करते हैं जैसे एक दूसरे से जान पहचान ही न हो
ऐसा ही मामला सामने आ रहा है कुछ ऐसे छात्र एवं छात्राओं का जिनकी छात्रवृत्ति का फार्म रिजल्ट न आने और फीस न जमा हो पाने की स्थिति में भरा नहीं जा सका
- गोमती मित्र मंडल को है पूरी उम्मीद एक न एक दिन सीताकुंड घाट की जलधारा होगी अविरल व निर्मल
- उर्सला अस्पताल के डफरिन मे संविदा कर्मियों का वेतन अनियमिताओं पर धरना प्रदर्शन
ये वो छात्र एवं छात्राएं है जो बीएड द्वितीय वर्ष में पहुंच चुके है।
जानकारी के लिए बता दें तो 11/12/2020 को इनका रिजल्ट आया , अबतक इनकी फीस भी जमा नहीं हो पाई थी कि 15/12/2020 को स्कॉलरशिप की साइट से आवेदन लिए जाना बंद कर दिया गया ।
इस बीच के चार दिन में एक दिन कि छुट्टी यदि निकाल दें तो तीन दिन में बच्चे क्या क्या कर पाते ?
कुछ ने तो दिन रात एक करके सारे दस्तावेज इकट्ठा भी कर लिए तो स्कॉलरशिप की साइट का लोड इतना बढ़ गया कि सुबह से खा पीकर बैठते तो शाम हो जाती रात 12 बजे तक प्रयत्न करते किन्तु कोई सफलता हांथ न लगी , अंत मे बेबसी के साथ सोना पड़ता।
इनके अलावा भी लाखों ऐसे छात्र वा छात्राएं है जिनका आवेदन अभी तक किसी न किसी वैध कारण से रुका हुआ है
अब ऐसी स्थिति में उन बच्चों का क्या होगा जिनके मा बाप ने कर्ज लेकर स्कॉलरशिप के भरोसे उनका एडमिशन कराया है
अभी हाल ही में एक गरीबी से त्रस्त छात्रा ने अपने सुसाइड नोट मे स्कॉलरशिप न मिलने के चलते सरकार को साफ साफ जिम्मेदार ठहराते हुए आत्महत्या कर ली
अब यदि इस प्रकार से सरकार का रवैया रहता है तो क्या भरोसा है कि भविष्य मे ऐसी घटनाएं नहीं होंगी और यदि गरीबी से त्रस्त होकर कोई छात्र/ छात्रा या अभिभावक आत्महत्या करता है तो उसका हत्यारा कौन होगा
Date बढ़ाई jani chahiye