जल निकासी व्यवस्था तार तार,प्रशासन रहा मौन।

उन्नाव

उन्नाव से गायत्री शुक्ला की रिपोर्ट बी न्यूज़

बीते दिनों  तालाबों पर हुए अवैध कब्जों के प्रति उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए सख़्त फैसले से आम जन मानस में जो खुशी की लहर थी वह अब धुंधली होती जा रही है। जिला प्रशासन एक ओर जहां सड़क के किनारे हुए अवैध कब्जों को हटाने में व्यस्त और गुड वर्क की श्रेंणीं में अपना नाम लाने के लिए तत्पर है वहीं दूसरी ओर शहर में ड्रेनेज की समस्या विकराल रुप लेती जा रही है।
हालत यह है कि भीषण़ गर्मी में भी शहर के अधिकांश सघन आबादी वाले क्षेत्रों में नालियां बज बजाकर सड़कों पर आ गई है। इसके दो मुख्य कारण है, पहला तो यह कि नगर पालिका परिषद में सफाई कर्मियों का बीते वर्षों से सदैव अभाव दूसरा शहर में उपयोग किए हुए जल की निकासी का मुख्य स्रोत भू माफियाओं द्वारा पाटे गये तालाब।

शहर मे पाटे गये तालाब का चित्र

गौर तलब है कि सफाई कर्मियों का टोटा तो नगर पालिका के पास हमेशा से ही रहा है पर हालत बद से बदतर न थे। इस बाबत सफाई सुपरवाइजर से बात करने पर उसका साफ जवाब होता है कि एस.डी.एम से कह दो। इधर तालाबों पर काबिज भू माफिया जो कि अधिकांश तथाकथित राजनीति पोषित हैं या स्वयं राजनीतिक हैं पर प्रशासन कोई भी सख़्ती करने में असमर्थ नजर आ रहा है। जिससे शहर मे अनुपयोगी जल के निकासी की समस्या विकराल रुप लेती जा रही है।

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उल्लेखनीय है कि शहर सीमा के पाँच तालाब जो कि जल निकासी के मुख्य स्रोत थे वो भू माफियाओं व जिला प्रशासन की साँस गाँठ से ही पाटे गए हैं। बताते चलें की पूर्व में कुछ जीवित तालाबों का क्रय विक्रय तत्कालीन जिला प्रशासन की संलिप्तता में उन्हें पर्ती जमीन के रूप में दर्शा कर भी किया गया है। जब कि उक्त तालाबों को 99 वर्ष के पट्टों पर निर्बल वर्ग के लोगों को सरकार द्वारा भरण़ पोषण़ के लिए दिया गया था और जिनकी समयावधि भी पूरी ना हुई थी। दो धार्मिक स्थलों पर भी तालाबों पर अवैध कब्जे हुए हैं या हो रहे हैं और सभी मौन हैं।

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