अंकित त्रिपाठी / बी न्यूज़
चुनाव का दौर शुरु हो चुका है सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव लडने के लिए पूरी तरह से कमर कस ली है पाला बदलने का कार्यक्रम भी अपनी तेज गति से चल रहा है, पाला बदलने वालों का सबसे ज्यादा हमला सत्ता पक्ष की तरफ है मजे की बात यह है कि दल बदलने वाले नेता बेचारे दलितों व पिछड़ों की लड़ाई सत्तापक्ष में रहकर नहीं लड सके अब नये दल में जाकर इन सभी के लिए अच्छी लड़ाई लड़ेंगे। जबकि सच्चाई यह है कि इन नेताओं का न कोई सिद्धान्त रह गया है न कोई नीति रह गयी है पांच साल सत्ता में रहकर खूब मजे किये , और जैसे ही चुनावी बिगुल बजा वैसे ही इन्हें दलितों व पिछड़ों की लड़ाई याद आई।
भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने सपा अध्यक्ष अखिलेश जी से समझौता करने से किया इंकार और सपा से समझौता तभी हो सकता है जब वह दलितों को 5 सीट देने को हो तैयार। सपा पर हमला करते हुए उन्होंने सपा के दावों की पोल खोली । उन्होंने 6 महीनों से गठबंधन की बात को स्वीकारा पर कहा की अखिलेश दलित नेताओं को नहीं चाहते हैं , वह चाहते हैं कि दलित उनको वोट देकर हमको सत्ता पाने में सहायता करें। वहीं कांग्रेस ने “मैं लड़की हूं लड़ सकती हूं” का नारा देकर उन्नाव में बलात्कार कांड की पीड़िता की मां को कांग्रेस ने बनाया प्रत्याशी सपा अध्यक्ष अखिलेश अपना प्रत्याशी उन्नाव से नहीं खड़ा करेंगे.