जम्मू एंड कश्मीर की सरकार ने यह मंजूरी दे दी है कि, अब कोई भी भारत का नागरिक जम्मू एंड कश्मीर में जमीन खरीद सकता है ।
जमीन खरीदने से पहले उस व्यक्ति को वहां की सरकार को यह बताना होगा कि वह इस जमीन का किस प्रकार से उपयोग करेगा
और जम्मू-कश्मीर में ना सिर्फ जमीन खरीद सकते हैं, बल्कि वहां पर स्कूल ,होटल ,अस्पताल कुछ भी बना भी सकते हैं, या आप रहने के लिए भी वहां जमीन खरीद सकते हैं वहां पर अब अपना घर बनवा सकते हैं
अब तक क्यों नहीं खरीद सकते थे जम्मू एंड कश्मीर में जमीन!
वर्ष 2019 में 5 अगस्त के दिन जिस दिन जम्मू एंड कश्मीर से आर्टिकल 35a और 370 हटाया गया तब से जम्मू एंड कश्मीर भारत का एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया
उससे पहले आर्टिकल 35a के तहत जो की वर्ष 1954 में लगा था उसके मुताबिक जो व्यक्ति जम्मू कश्मीर का नहीं है वह जम्मू कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकता था
जो व्यक्ति जम्मू कश्मीर का नहीं है वह जम्मू कश्मीर में ना ही सरकारी नौकरी कर सकता है ना ही वहां के इलेक्शन में भाग ले सकता था
1956 से ही जम्मू कश्मीर का अपना अलग संविधान था और वहां की विधानसभा के सदस्यों का कार्यकाल भी 6 वर्षों का होता था
क्यों बना था जम्मू कश्मीर का अलग संविधान?
वर्ष 1947 में जब हमारा देश आजाद हुआ उससे पहले 3 जून 1947 को अंग्रेजों द्वारा माउंटबेटन प्लान लाया गया था
जिसके साथ यह कहा गया कि अंग्रेज भारत से चले जाएंगे और भारत दो अलग देशों में बंट जाएगा।
जिसमें से एक का नाम भारत और दूसरे का नाम पाकिस्तान होगा
जो भी भारत की रियासतें हैं वह चाहे तो स्वतंत्र रहें या इन दोनों अलग देशों में मिल जाए
उस समय सरदार बल्लभ भाई पटेल ने अलग-अलग रियासतों से बात करके उन्हें भारत में विलय किया
इसके बावजूद तीन रियासतें कश्मीर जूनागढ़ और हैदराबाद स्वतंत्र रूप से रहना चाहती थी
वर्ष 1948 में 13 से 18 सितंबर के बीच सरदार पटेल ने ऑपरेशन पोलो द्वारा हैदराबाद को भारत में मिला लिया
इसके पहले जूनागढ़ को भी 9 नवंबर 1947 में भारत में मिला लिया गया
इससे पहले कश्मीर को 26 अक्टूबर 1947 में वहां के राजा हरि सिंह द्वारा विलय पत्र पर हस्ताक्षर कराकर भारत में मिला लिया गया
कश्मीर के राजा हरि सिंह भारत में मिलने के लिए क्यों राजी हुए?
कश्मीर के राजा हरिसिंह भारत में मिलने के लिए राजी नहीं हुए थे वह अपना एक स्वतंत्र राज चाहते थे
पर पाकिस्तान की सेना ने कबीलों के भेष में कश्मीर में प्रवेश कर लिया
और वहां के लोगों को मारने लगी जिसके बाद राजा हरि सिंह घबरा गए
उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से कहा कि वह अपनी सेना को कश्मीर भेज दे
पंडित जवाहरलाल नेहरु जी ने कहा कि वह सेना को भेजने से पहले चाहते हैं कि कश्मीर के राजा भारत में मिलने के लिए एक विलय पत्र पर हस्ताक्षर करें
इसकेबाद हरि सिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को भारत के विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए
जिसके बाद पंडित जी ने 27 अक्टूबर को अपनी सेना कश्मीर भेजी
26 अक्टूबर को हम इन्फेंट्री डे के रूप में मनाते हैं
जम्मू एंड कश्मीर की सरकार ने यह कहा है कि सेना जिस जगह को अपनी सुरक्षा में रखना चाहेगी कोई भी व्यक्ति वहां जमीन नहीं ले सकता इसके अलावा कश्मीर की और किसी भी जगह पर कोई भी व्यक्ति जमीन खरीद सकता है।