चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा तिथि से शुरू होने वाला शक्ति उपासना का यह महापर्व जिसे वासंन्तिक नवरात्र के नाम से जाना जाता है ।
तेरह अप्रैल दिन मंगलवार को नवरात्रि पूजन एवं घट स्थापन व अनुष्ठान का प्रथम दिन है ।
जो नव संवत्सर ( नया वर्ष ) की शुरुआत भी है इसलिए कल से सभी देवी मंदिरों व शिव शक्ति मंदिरों बटवासनी महाकाली शक्तिपीठ गालापुर सहित तमाम देविमय स्थानों पर मन्त्रों
से देवी पूजा की आराधना का क्रम प्रतिप्रदा तिथि मंगलवार से शुरू होगा कुछ स्थानों पर कलश स्थापना भी किया जायेगा उसके उपरांत शक्ति आराधना नौ दिनों तक चलती रहेगी ।
इस प्रकार चैत्र मास की रामनवमी तिथि के दिन पूरा होती है नवरात्रि ब्रत व अनुष्ठान । प्रति वर्ष नवरात्र के आगमन पर सम्पूर्ण क्षेत्रों में देविमय वातावरण ब्याप्त रहता है ।
ऐसी दशा में यदि कोई भी मनुष्य देवि चण्डिका के नवार्ण मन्त्र ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे से भगवती का जप करता है तो उसकी समस्त ब्याधियॉ स्वत: ही नष्ट हो जाया करती हैं और उसे इसका आभास भी नहीं हो पाता क्योंकि माता जगदम्बा भक्तवत्सला है जो अपनें भक्तों की मनोंकामना अवश्य ही पूरी करतीं हैं इसमें कोई संशय नहीं है क्योंकि मंत्र जप ऊर्जा के प्रभावी स्रोत होते हैं ।
सिद्धार्थनगर से राजेश शास्त्री की रिपोर्ट बी न्यूज