किस कारण अपनी जान गवा रही है गौशाला की गाये

सिद्धार्थनगर

जनपद सिद्धार्थनगर के तहसील इटवा में नगर पंचायत इटवा अन्तर्गत इटवा बिषकोहर मार्ग पर स्थित गौशाला पेंड़ारी में कतिपय सम्बन्धित अधिकारियों व गौशाला में कार्यरत गौशाला कर्मियों की मिली भगत से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है जिसके कारण यहॉं आये दिन यहॉं की पशुओं को या तो खुला छुट्टा धान की फ़सल को सफ़ाचट करने के लिए छोड़ दिया जाता है या फिर उन पशुओं की भूख के कारण मौत होती रहती है जिससे यहॉं धीरे धीरे पशु कम होते जा रहे हैं जो अबिलम्ब जॉच का विषय बनता है ।

बताया जाता है कि यह दास्तान नगर पंचायत इटवा अंतर्गत स्थित पेड़ारी गौशाला के उन गायों की है जो यहां रखी गयी हैं। लेकिन जिम्मेदारों के आंखों पर पट्टी बँधी होने के नाते उन्हें तो कुछ दिखता ही नहीं है। जिसे कैमरे ने अपने दृष्टि में बयां कर दिया है। नगर पंचायत इटवा के पेड़ारी में 136 से लगभग 150 गायों को रखने की क्षमता वाले इस गौशाला में लगभग आज मात्र 60 गायें ही नज़र आईं हैं। जिसमें से कुछ की स्थिति दयनीय है।

तथा तीन गायें आज मर गई हैं जिसमें से दो गायों को गौशाला की देखरेख करने वाले कर्मियों द्वारा दफ़ना दिया गया और समाचार के कवरेज के वक़्त एक गाय को पीले प्लास्टिक के बरसाती पन्नी से ढक कर रखा गया था जिसके बारे में गौशाला कर्मी मानसिंह यादव व हरीप्रसाद ने बताया कि एक गाय ही मरी है जिसका तुरन्त वही पास की एक महिला ने कहा कि क्यों झूठ बोल रहे हो आज तीन गाय मरी है जिसका बयान बीडियो में क़ैद है महिला ने यह भी कहा कि और पाँच गाय जो बीमार हैं उन्हें भी बताओ इस पर उक्त दोनों कर्मी उस महिला को ज़ोरों से डॉंट कर भगा दिया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार नगर पंचायत इटवा के पेड़ारी गौशाला में 150 गायों को रखने रखने की क्षमता है। जिसमें मौके पर लगभग 60 गायें ही मौजूद मिली हैं। इन मौजूद गायों को भी चारा और दवा ठीक से न मिलने के कारण गाएं भूख से आहत होकर और बीमारी से मर रही हैं क्योंकि गौशाला में कहीं भूसा और पशुआहार दिखाई दिया जिसकी पुष्टि कैमरे में क़ैद है।
गुरुवार के दिन तीन मरी हुई गायों में से दो गायों को गौशाला परिसर में ही गड्ढ़ा खोद कर मिट्टी में गाडा गया है। एक गाय को गाडने के लिए पॉलिथीन से ढक कर रखा गया है। तथा पॉंच गायों की स्थिति और भी दयनीय बताई जा रही है। लोग बताते हैं कि कुछ गाय तो यहां से भाकर बाहर भी निकल गई हैं। वहीं नगर के डुमरियागंज और बढ़नी व इटवा बिषकोहर मार्ग पर भी बैठी रहती हैं। जबकि सूत्र बताते है कि सरकार से प्रति गाय की खुराक रू. 30 मिलता है। इस प्रकार एक माह का खर्च लगभग रू. एक लाख पैंतीस हजार मिलता है। फिर भी इन गायों की इतनी दयनीय स्थिति क्यों है जो जॉंच का बिषय बनता है क्योंकि गायों की दशा देखकर जिम्मेदारों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खडा करती है। क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि इतना धन मिलने के बाद भी गाय चारा और दवा के अभाव में मर रही हैं। जिम्मेदार अधिकारी मजे काट रहे हैं।
इस संबंध में जब अधिशासी अधिकारी अतुल सिंह से पूछॉं गया तो उन्होनें बताया कि ज्वायनिंग के बाद मैं छुट्टी पर चला गया था। कर्मचारी से पता करके आप को फोन करता हूँ।

सिद्धार्थनगर से राजेश शास्त्री की रिपोर्ट बी न्यूज

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