चला गदेलो तपता बारा – सवधी मंच

”कथरी कमरी फेल होइ गई , अब अइसे न होइ गुजारा
चला गदेलो तपता बारा -2

गुरगुर गुरगुर हड्डी कांपय , अंगुरी सुन्न मुन्न होइ जाय
थरथर थरथर सब तन डोले , कान क लवर झन्न होइ जाय
सनामन्न सब ताल इनारा , खेत डगर बगिया चौबारा
बबुरी,किलउज़ छान्हि उजारा …
चला गदेलो तपता बारा – 2

बकुली होइ गइ आजी माई , बाबा कथरी लिहे रज़ाई
लरिकन दुई दुई सुइटर साँटे , कनटोपे मे मुनिया काँपे
कौनों जतन काम ना आवे , ई जाड़ा से कौन बचावे
हम गरीब कय एक सहारा
चला गदेलो तपता बारा

कूकुर पिलई पिलवा कांपय , बरधा पँड़िया बछिया कांपय
कौवा सुग्गा बकुली पणकी , गुलकी नेउर बिलरइउ कांपय
शीशम सुस्त, नीम सुसुवानी , पीपर महुआ पानी पानी
राम एनहुं कय कष्ट नेवरा
चला गदेलो तपता बारा -2 ।।

✍🏻 इन्द्र एन तिवारी

 

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