एक “पवित्रा” ही नही प्रतिदिन कई गुमनाम होते हैं इस अव्यवस्था का शिकार
लखनऊ सं.सू/महेंद्र राज शुक्ल
चिकित्सकीय सुविधाओं मे संवेदन हीनता के कारण़ एक प्रसूता एक से दूसरे अस्पताल में भटकती रहीं,मगर प्रसव नहीं हो सका।राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के शहीद पथ स्थित राम प्रकाश गुप्त मातृ एवं शिशु रेफरल अस्पताल ने प्रसूता को भर्ती तो किया लेकिन,बिलंब होने से गर्भस्थ की जान जा चुकी थी।सीतापुर निवासी 35 वर्षीय दिहाड़ी कामगार पवित्रा लखनऊ के कल्याणपुर में परिवार के साथ रहती हैं।
प्रसव पीड़ा होने पर परिवारीजन एंबुलेंस से गर्भवती को लेकर रविवार सुबह साढ़े नौ बजे भाऊराव देवरस सिविल अस्पताल महानगर पहुंचे।सूत्रो़ के यहां तैनात चिकित्सक ने प्रसव पूर्व जांच रिपोर्ट न होने पर इलाज से मना कर दिया। घरवालों के गिड़गिड़ाने पर प्रसव कराने के लिए स्टाफ ने 10 हजार रुपये मांगे तो डाक्टर से इसकी शिकायत की।इस पर डाक्टर ने अल्ट्रासाउंड मशीन न होने की बात कह गर्भवती को दूसरी जगह ले जाने के लिए कहा।
परेशान परिवारीजनों द्वारा प्रसव वेदना ग्रस्त पवित्रा को हजरत गंज स्थित झलकारी बाई अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस को फोन करने के बाद भी आधे घंटे के इंतजार के बाद भी एंबुलेंस न आने पर करीब तीन घंटे बाद किसी तरह उन्हें आटो से लेकर झलकारी बाई अस्पताल पहुंचे। यहाँ भी इलाज से पूर्व कोरोना जांच रिपोर्ट की जानकारी दिए बिना गर्भवती को कहीं और ले जाने के लिए कहा गया। कई घंटे तक इलाज न मिलने से परेशान घर वाले प्रसूता को आटो से सीतापुर स्थित गांव ले जा रहे थे तभी
कुर्सी,बाराबंकी पहुंचने पर प्रसव पीड़ा अधिक बढ़ गई तो घरवाले उसे वापस कल्याणपुर लेकर आए।इस बीच गर्भवती को एक क्लीनिक पर दिखाया। डाक्टर इंजेक्शन मंगवाकर लगवाया।
उपचार न दिए जाने की जानकारी मिलने पर एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र के प्रतिनिधियों के द्वारा गर्भवती को डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के राम प्रकाश गुप्त मातृ एवं शिशु रेफरल अस्पताल में भर्ती कराने के बाद यहां स्त्री रोग विभाग की डाक्टरों ने तत्परता से गर्भवती का उपचार शुरू किया। लोहिया संस्थान की नोडल आफिसर ने स्त्री रोग विभाग में बात कर गर्भवती की हर संभव मदद कराई काफी देर हो चुकी थी।गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई थी।इस बाबत सीएमएस झलकारी बाई हास्पिटल का कहना है कि हमारे
अस्पताल में इस नाम का कोई मरीज नहीं आया।भाऊराव देवरस अस्पताल महानगर
अस्पताल की महिला चिकित्सक डा.आर सी सिंह के मुताबिक गर्भस्थ की धड़कन नहीं सुनाई दे रही थी। अस्पताल छोटा होने के कारण गर्भवती को रेफर किया गया। दस हजार रुपये मांगे जाने के आरोप की जांच कराई जाएंगी,और दोषी के विरुद्ध निश्चित ही कार्रवाई की जाएगी।
डा. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान की निदेशक . सोनिया नित्यानंद, निदेशक के अनुसार प्रसूता जब अस्पताल पहुंची तो जांच के बाद पता चला कि गर्भस्थ की मौत हो चुकी है। गर्भवती की हालत पहले से ही काफी खराब थी।थोड़ा सुधार होने पर देर शाम प्रसव कराया गया।प्रसूता का प्राथमिकता पर उपचार किया जा रहा है। एक युनिट ब्लड चढ़ाया जा चुका है। प्रसूता की ठीक से निगरानी का निर्देश दिया गया है।