तमिलनाडु ने लगाया ऑनलाइन गेम पर बैन

तमिलनाडु ने ऑनलाइन गेमिंग पर 5000 का जुर्माना और 6 महीने की जेल की सजा देने का प्रावधान जारी कर दिया है।

अगर इसके बावजूद भी ऑनलाइन गेमिंग खेलने वाले दोबारा ऐसी कोई गलती करते हैं तो उनके ऊपर ₹10000 की जुर्माना और 2 साल की सजा का प्रावधान है।

तमिलनाडु में अगर कोई कंपनी ऐसा कोई खेल को प्रमोट करती है तो उसे भी 2 साल की सजा और ₹10000 के जुर्माने का प्रावधान है।

तमिलनाडु में ऑनलाइन गेम पर बैन क्यों लगाया?

तमिलनाडु सरकार ने शुक्रवार को राज्य में ऑनलाइन गेमिंग पर ₹5000 जुर्माना और 6 महीने तक की कैद की सजा पर रोक लगा दी है।

राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने राज्य में ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने वाले अध्यादेश को स्थापित कर दिया है हर गेम पर प्रतिबंध लगाने वाले अध्यादेश में राज्यपाल ने कहा है कि ऑनलाइन गेमिंग के कारण निर्दोष लोगों को मुख्य रूप से युवाओं को धोखा दिया जा रहा है और इसकी वजह से कुछ लोगों ने आत्महत्या भी कर ली ह

कब हुई ऑनलाइन गेमिंग की शुरुआत?

वर्ष 1972 में ऑनलाइन गेमिंग की शुरुआत हुई।

पहले इसे एक्स मैन गेम के नाम से जाना जाता था।

तब बड़े-बड़े डिब्बों जैसे आकार के गेम प्लेटफार्म के सामने बैठकर लोग गेम खेला करते थे।

वैसे अब आपके लैपटॉप और मोबाइल पर उपलब्ध करा दिया है।

यह गेम ज्यादातर छोटे बच्चों और युवाओं को प्रभावित कर रहा है।

इन खेलों में उपयोगकर्ता को दुनियाभर के अन्य खिलाड़ियों के साथ खेलने के लिए खेल में प्रवेश करने के लिए कुछ पैसे निवेश करने की आवश्यकता होती है।

जानकारों और सेंटर फॉर रिसर्च ऑन साइबर क्राइम एंड साइबर ब्लॉक के चेयरमैन के अनुसार कई सेंटेंस गेमिंग एप प्लेटफार्म मनी लॉन्ड्रिंग में भी लिप्त हो सकते हैं।

उनका यह भी मानना है कि इसका इस्तेमाल टेरर फंडिंग में भी हो सकता है।

जरूरी बात तो यह है कि गैंबलिंग एक्ट के तहत प्रतिबंध लगाने के अधिकार सिर्फ राज्यों के पास ही है।

केंद्र के पास ऐसा कोई अधिकार उपलब्ध नहीं है।

खेल पर प्रतिबंध लगाने वाले अध्यादेश में राज्यपाल ने कहा है कि ऑनलाइन गेमिंग के कारण निर्दोष लोगों मुख्य रूप से युवाओं को धोखा दिया जा रहा है।

कुछ लोगों ने आत्महत्या कर ली इस प्रकार राज्य ने ऑनलाइन गेमिंग को आत्महत्या की ऐसी घटनाओं से बचाने और निर्दोष लोगों को ऑनलाइन गेमिंग की बुराइयों से बचाने के लिए प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।

साइबर स्पेस में कंप्यूटर के किसी अन्य संचार उपकरण सामान्य ज्ञान इन हाउस और जीत या पुरस्कार राशि वितरित करने के लिए धन के किसी भी इलेक्ट्रॉनिक हस्तांतरण का उपयोग करने के लिए किसी भी प्रकार की जुबां और सट्टेबाजी पर विशेष प्रकार का प्रतिबंध लगा दिया गया है।

इसका प्रभावी रूप से यह मतलब है कि राज्य में खिलाड़ी अपने द्वारा खेले जाने वाले खेलों के लिए कोई एंड ऑन नहीं खरीद सकता।

गेमिंग आर्केड पर नहीं जा पाएगा या ऑनलाइन गेमिंग टूर्नामेंट में भाग भी नहीं ले पाएगा।

कुछ मल्टीप्लेयर गेम जैसे काउंटर स्ट्राइक साप्ताहिक टूर्नामेंट में ₹10000 तक की खरीदारी करते हैं।

आखिर क्यों हो रही है हर जगह बैन ऑनलाइन गेमिंग ?

हालांकि इस बात पर कुछ बात हुई है कि ऑनलाइन गेम शुद्ध भाग्य कौशल की बात है या फिर पैसों के आगमन ने इसे और अधिक जटिल बना दिया है।

ऑनलाइन गेम और जुए के अधिकांश विरोधियों ने कहा है कि जो कि यह कोई नियम नहीं है इसलिए अधिकांश खिलाड़ी इन खेलों को खरीदने के लिए बहुत सारा पैसा खर्च कर देते हैं।

वहीं आलोचकों का यह भी कहना है जो कि यह गेम सभी उम्र के बच्चों द्वारा खेला जाता है इसलिए इसे एडवांस को खरीदने के लिए पैसों की कमी से विभिन्न प्रकार की सहकर्मी दबाव डालते हैं जिससे अप्रिय स्थिति पैदा हो जाती है।

भारत के किन किन राज्यों में प्रतिबंध लगा हुआ है इस तरह के खेलों पर

हालांकि खेल के रूप में जुड़े और सट्टेबाजी पर देश भर में प्रतिबंध है ।

भारत में लगभग 10 राज्य से असम, अरुणाचल प्रदेश ,गोवा केरल ,महाराष्ट्र, जोरम, नागालैंड, पंजाब ,सिक्किम और पश्चिम बंगाल में उनकी लॉटरी सिस्टम है।

इन लॉटरी में मुद्दे टिकटों की संख्या एवं वितरित पुरस्कार राशि पर बहुत सख्त नियंत्रण है।

हालांकि अधिकांश राज्य ऑनलाइन जुआ या सट्टेबाजी के विरोध में है क्योंकि खिलाड़ियों की संख्या और खेल में किए जाने वाले निवेश को नियंत्रित करने के लिए बहुत ही कम नियम है।

ऑनलाइन गेम और जुए पर प्रतिबंध लगाकर तमिलनाडु अपने पड़ोसी आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में ऑनलाइन गेम और जुए की कुछ रूपयों में प्रतिबंध लगाने में शामिल हो गया।

दूसरी तरफ राज्य का पड़ोसी कर्नाटक भी ऑनलाइन गेम और गेम पर प्रतिबंध लगाने के लिए कानून बना रहा है।

इस तरह की फैंटेसी गेमों में गुमनाम मैचों पर भी एक करोड़ तक की प्राइस मनी होती है और इसमें लाखों प्रतिभागी होते हैं।

प्रतिभागियों की एंट्री फीस को मिलाकर प्राइज मनी का फूल बनता है यूजर डाटा बेस की मॉनिटरिंग ना होने से फाइनेंस कंपनियों के फर्जी निवेशकों की तरह यहां फर्जी यूजर्स बना मनी लॉन्ड्रिंग की जा सकती है।

इस ऐप पर इनसाइडर ट्रेडिंग के भी आरोप लगते हैं और जो कि बहुत हद तक सही भी प्रतीत होते हैं।

इस तरह के ऐप में ज्यादातर चीनी कंपनियों का निवेश है।

3 नवंबर को दायर एक जनहित याचिका पर मद्रास हाई कोर्ट ने ऐसे प्लेटफार्म उसका प्रचार करने वाले सेलिब्रिटीज को नोटिस जारी किया है।

इन पर लॉटरी का प्रचार करने का भी आरोप लगाया गया है।

ऑनलाइन गेमिंग कि उभरते हुए मोहल्ले अब देखना यह होगा कि भारत इस पर कोई शक्त कानून लाता है या नहीं।

इसी तरह धीरे-धीरे करके भारत का हर एक राज्य अपने राज्य में इस ऑनलाइन गेमिंग को बैन कर देगा।

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