पुलिस हिरासत में हुई पिता की मौत

हमीरपुर

हमीरपुर से रउफद्दीन की रिपोर्ट बी.न्यूज़

क्षेत्र में जुआं और सट्टा कुटीर उद्योग की तरह लंबे समय से अपनी जड़े मजबूत किए है। इस कारोबार में जहां दिग्गज खिलाड़ी फड़ सजवाकर नाल वसूलते है । वहीं हारे जुआरियों को मोटे ब्याज पर धन उपलब्ध कराने वाले कारोबारी भी एक दिन में दुगुना प्रॉफिट कमाते है।

सट्टा और जुऐं के कारोबारियों को खाकी का भरपूर सरंक्षन हासिल रहता है व हारे जुआरियों से ब्याज सहित दुगुनी रकम की वसूली पुलिस के माध्यम से ही फर्जी लेन देन की तहरीरो पर होती है।

ऐसा ही मामला जिसमे पुत्र पर लगे लेन देन के आरोप में कोतवाली पुलिस ने वृद्ध पिता को हिरासत में लिया और पुलिस की पूंछतांछ के दौरान वृद्ध की हालत बिगड़ने लगी उसके उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाय गया जहाँ इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

जिसमे अब मानवाधिकार आयोग ने घटना से संबंधित रिपोर्ट हमीरपुर पुलिस से तलब की है। प्राप्त जानकारी के अनुसार कस्बे के बड़ा कसौड़ा निवासी सेवानिवृत्त लिपिक पीरमोहम्मद के पुत्र पर कस्बे के कुछ युवाओं ने अप्रैल 2019 में पुलिस के कुछ सिपाहियों की मिलीभगत से कांशीराम कालोनी के लिए पैसे देने का आरोप लगाया था|

जिसके चलते कोतवाली पुलिस द्वारा उसके पुत्र मोहम्मद अतीक के बजाय सेवानिवृत्त लिपिक पिता पीर मोहम्मद को हिरासत में लेकर पुलिस जांच पड़ताल शुरू कर दी थी। पुलिस की जांच पड़ताल के दौरान पीरमोहम्मद कोतवाली में ही बेहोश हो गए थे और उन्हें कस्बे के सरकारी अस्पताल ले जाया गया था|

जहां से कानपुर के लिए रेफर किया गया था और एक सप्ताह बाद इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी।उक्त मामले में तत्कालीन कोतवाली प्रभारी सहित एक उपनिरीक्षक और कुछ सिपाही आदि पर मुकदमा दर्ज किया गया था।

जो बाद में रफा दफा हो गया था| घटना की जांच में दुखद पहलू यह भी रहा की एक वरिष्ठ पत्रकार की आवाज सुनकर मदद की उम्मीद जिस वक्त वृद्ध हड़बडाता हुआ कोतवाली के रिकार्ड रूम से बाहर निकलकर बेहोश हुआ हो गया था|

उस समय वृद्ध के परिचित उस वरिष्ठ पत्रकार के अलावा मौके पर एक अन्य खबरची भी मौजूद था। जिन्हें कोतवाली पुलिस ने घटना का प्रमुख गवाह बनाया था। हालाकि घटना में पुलिस के द्वारा सिखाया गया बयान न देने के चलते पुलिस ने खबरची का नाम काट कर किसी अन्य व्यक्ति को घटना का चश्मदीद गवाह बना लिया था

लेधटना में मृतक के पुत्र मोहम्मद अतीक ने बताया कि वह गरीब आदमी हैं और अपना परिवार चला रहे हैं अब पैरवी करें या परिवार पालें साथ ही पुलिस और कस्बे के दबंग लोगों से दुश्मनी लेना भी डरा रहा है।

इस लिए वह शांत हो गए हैं। साथ ही चाहे जहां शिकायत करें जांच तो पुलिस को करना है। गौरतलब है कि पुलिस यदि समय रहते झूठे मामले को गुणवत्ता के आधार पर निस्तारित कर देती तो शायद एक व्यक्ति की जान बच सकती थी|

लेकिन पुलिस के जवानों को तो अपने लाभ से मतलब था। जिसके चलते एक निर्दोष की मौत हो गई। जो निष्पक्ष जांच का विसय है और यही जांच रिपोर्ट मानवाधिकार आयोग ने हमीरपुर पुलिस से मांगी है।

जिसकी जांच क्षेत्राधिकारी मौदहा कर रहे है। वहीं क्षेत्राधिकारी मौदहा द्वारा बताया गया जांच जारी है| जल्द ही रिपोर्ट तैयार कर उच्चाधिकारी को सौप दी जाएगी।

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