बुध ग्रह,जो कि सूर्य से सबसे नजदीक ग्रह है आज हम उसके बारे में जानेंगे
बुध ग्रह की कुछ रोचक बातें !
बुध ग्रह चंद्रमा जितना ही बड़ा है लेकिन धीरे-धीरे यह लगातार छोटा हो रहा है और आज से नहीं बल्कि, आज के 40 साल पहले से यह छोटा हो रहा है तब से अब तक में इसकी एरिया में 17 माइल की कमी आई है।
इसका वातावरण बहुत ही कमजोर है, कमजोर वातावरण के कारण इसका तापमान दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, जिस ग्रह का वातावरण बहुत कमजोर होता है उसका तापमान स्थिर रहता है।
वर्तमान समय में बुध ग्रह का दिन का तापमान 427 डिग्री सेल्सियस तथा रात का तापमान -127 डिग्री सेल्सियस है।
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इसके पास कोई चंद्रमा नहीं है। सूर्य से इसकी दूरी केवल 57.97 मिलियन किमी है। और इसका रेडियस 4880 किमी का है।
इसका 1 साल सिर्फ 88 दिनों में ही पूरा हो जाता है तथा इसका एक दिन हमारी पृथ्वी के अर्थ देश के बराबर है अर्थात हमारी 2 महीने की जितना बड़ा इसका एक दिन होता है।
बुध ग्रह पर यह मिशन किसने भेजा ?
बुध पर भेजे गए इस मिशन का नाम बेपिकोलंबो है बेपिकोलंबो नामक इस मिशन का नाम इटली के मशहूर साइंटिस्ट के नाम पर पड़ा है, इसे साउथ अमेरिका से भेजा गया है।
साउथ अमेरिका में फ्रेंच की एक टेरिटरी जिसका नाम फ्रेंच गुयाना है इसे वहां से लांच किया गया है।
बुद्ध ग्रह पर भेजे गए अन्य मिशन
इससे पहले बुद्ध पर दो और मिशन भेजे गए थे
जिनमें से एक 1973 में भेजा गया जिसका नाम Meriner 10 है Meriner 10 के बारे में माना जाता है कि यह बुद्ध से भी आगे निकल चुका है तथा सूर्य के चक्कर लगा रहा है।
इसका कोई प्रमाण नहीं है माना जाता है कि सूर्य के तापमान में या झुलस चुका होगा या उसके चक्कर लगा रहा होगा।
Meriner 10 के बाद दूसरा मिशन मैसेंजर 2004 में भेजा गया
इन मिशन को इसलिए भेजा गया ताकि हम यह जान सके कि बुद्ध के ऊपर पानी है या नहीं।
मिशन मैसेंजर को सन 2004 में पृथ्वी से भेजा गया ताकि हम यह जान सके कि वह हमारे लिए जीवन संभव है या नही।
वर्तमान मिशन बेपिकोलंबो को जापान की एजेंसी जाक्सा और यूरोप की स्पेस एजेंसी ESA ने लांच किया।
विश्व की कुछ प्रमुख स्पेस एजेंसी :
विश्व की प्रमुख पेशियों में सबसे पहला नाम नासा का आता है।
नासा की फुल फॉर्म National aeronautics and space administration है।
इसके बाद रूस की एजेंसी रोस्कॉसमॉस है।
इसके बाद जापान के JAXA का नाम आता है ।
जिसका full form Japan aerospace explaration agency है
इसके बाद यूरोप की स्पेस एजेंसी ESA है। इसके बाद यूरोप की एजेंसी ESA है।
ESA का full form European space agency है
जिस प्रकार भारत की एजेंसी का नाम इसरो है उसी प्रकार दुनिया की सभी एजेंसियों के नाम कुछ इसी प्रकार है जो ऊपर दिए गए हैं।
बेपिकोलंबो कब गया ?
बेपिकोलंबो को वर्ष 2018 में भेजा गया आज की सुर्खियों के हिसाब से बेपिकोलंबो ने शुक्र ग्रह को पार कर लिया है तथा 2025 तक के बुध ग्रह पर पहुंच जाएगा।
यह एक ऑर्बिटल विषय है, ऑर्बिटल मिशन में भेजा गया सेटेलाइट ग्रह के चारों ओर दूरी से चक्कर लगाता रहता है और उसकी फोटोस और सोच एजेंसी तक भेजता है।
ग्रहों पर मिशन क्यों भेजा जाता है?
ग्रहों पर मिशन इसलिए भेज आता जाता है, ताकि हम यह जान सके कि क्या कभी उन पर भी जीवन संभव था।
जिस प्रकार पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है वैज्ञानिकों को लगता है कि कल को पृथ्वी भी समाप्त हो सकती।
पृथ्वी पर इसका बढ़ते हुए तापमान तथा उन ग्रहों के बढ़े हुए तापमान की तुलना कर के वैज्ञानिक यह जानना चाहते हैं कि क्या पृथ्वी आगे चलकर खत्म हो जाएगी उन्हीं ग्रहों की तरह।
इसीलिए हम अन्य ग्रह पर मिशन भेजते हैं तथा यह जानकारी हासिल करते हैं कि क्या कभी उन पर भी जीवन संभव था।