मरते हुए बाह्यग्रह ने दिए संकेत,कैसे होगा हमारी पृथ्वी का अंत

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खगोल विज्ञान में अक्सर एक जिज्ञासु प्रश्न पूछा जाता हैं| कि पृथ्वी का अंत कैसे होगा| इस बात पर भी बहस चल रही हैं| कि क्या पृथ्वी का अंत प्राकृतिक होगा या एक विशाल खगोलीय पिंड से टकराने जैसी असमान्य प्राकृतिक दुर्घटना या हम मनुष्य अपनी गतिविधियों से पृथ्वी को नष्ट कर देंगे|

समान्यतः वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह माना जाता हैं कि पृथ्वी का अंत प्राकृतिक होगा| वैसे तो खगोलविद लम्बे समय से इस बात का अध्यन कर रहे हैं कि यह कैसे होगा| लेकिन नए अध्यन में एक अलौकिक ग्रह ने यह संकेत दिए हैं| कि ऐसा कैसे हो सकता हैं|

कहा जाता हैं की 4.5 अरब वर्ष पुरानी पृथ्वी का अस्तित्व सूर्य के अस्तित्व पर निर्भर करता हैं| अर्थात जबतक यह सूर्य से प्रकाश प्राप्त करती रहेगी तब तक जीवित रहेगी| अब खगोलविन्दो ने वास्तविकता में एक अनुकरण की तरह यह पता लगाया है कि पृथ्वी का अपने अंतिम समय में क्या होगा| उन्होंने एक एलियन ग्रह को देखा हैं| जो अपने तारे से टकराने की राह पर हैं|

इस अलौकिक ग्रह की परिक्रमा एक तरह से समाप्त हो रही हैं| यह अध्यन और ग्रहीय प्रणाली के बारे में विस्तृत जानकारी एस्ट्रोनॉमिकल जर्नल लेटर्स में प्रकाशित हुई हैं| जिसके अनुसार यह अध्यन ग्रह के जीवन चक्र के अंत में ज्वारीय भौतिक को समझने की दृस्टि से एक मील का पत्थर साबित होगा ताकि हम समझ सके कि ग्रहो का अंत कैसे संभव हैं|

हावर्ड और स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के एक साथी शोधकर्ता श्रेयस विसाप्रागदा बताते हैं कि एक्सोप्लैनेट अपने सितारों के अंदर अवशोषित होते हैं| लेकिन अभी तक उन्हें किसी विकसित तारें के पास इस प्रकार का ग्रह नहीं मिला हैं|

ऐसा रिजल्ट कभी नहीं देखा| जो उन्हें इस घटना में देखने को मिला| सैद्धांतिक रूप से यह अनुमान लगाया गया हैं कि विकसित सितारे प्रभावी ढंग से अपने ग्रहों की कक्षाओं से ऊर्जा खींचते हैं| लेकिन अब इस राय को टिप्पणी से परखा जा सकता हैं|

केपलर 1658 बी नाम के इस ग्रह की खोज नासा के केप्लर टेलिस्कोप के जरिये की गई थी| इस ग्रह की खोज वर्ष 2009 में ही हो गई थी| लेकिन खगोलविन्दो को इस गर्म वृहस्पति के अस्तित्व की पुष्टि करने में एक दशक लग गया|

यह ग्रह आकार और वजन में बृहस्पति के सामान हैं| लेकिन यह अपने तारे से काफी करीब हैं| इन दोनों ग्रहो की बीच की दूरी हमारे शौर मंडल में सूर्य और बुध ग्रह के बीच की दूरी का आठवां हिस्सा हैं|

ऐसे ग्रह अपनी कक्षा के विखंडन के माध्यम से ही अपने तारे में समाप्त होते हैं|

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