अमेठी
यूं तो किसी घटना दुर्घटना या किसी वीवीआईपी के आने की वजह से पुलिस व पी ए सी की मौजूदगी देखने को मिलती है लेकिन यहां तो नजारा ही कुछ अलग था। एसडीएम व तहसीलदार की कोर्ट को चलवाने के लिए सी ओ अमेठी के नेतृत्व में 4 थानों की फोर्स व एक टुकड़ी पी ए सी की लगाई गई, इस व्यवस्था में फरियादी व अधिवक्ता तो नहीं दिखे लेकिन पुलिस की भारी सुरक्षा व्यवस्था जरूर रही तो वहीं एसडीएम योगेन्द्र सिंह ने बताया कि 10 से ज्यादा मुकदमों को देखा गया।
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बात करते है अमेठी तहसील की जहां बीते 54 दिनों से अधिवक्ता कोर्ट के कार्यों का बहिष्कार करते चले आ रहे हैं। अधिवक्ताओं का कहना है कि अमेठी के एसडीएम व तहसीलदार सिर्फ पैसा खोजते हैं, बिना पैसा लिए काम नहीं करते हैं। इसलिए इनका स्थानांतरण होना चाहिए। हड़ताली अधिवक्ताओं ने एसडीएम व तहसीलदार के स्थानांतरण न होने तक कार्य बहिष्कार कर रखा था।
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इस सम्बन्ध में अधिवक्ताओं की वार्ता डीएम अरुण कुमार व पूर्व में रही एडीएम वंदिता श्रीवास्तव से भी दो बार हो चुकी थी लेकिन अधिकारियों द्वारा मिले आश्वासन के बाद भी कोई कार्यवाही न होते देख अधिवक्ता अपनी मांग पर अडे रहे और न्यायालयीय कार्यों से अपने को अलग रखा। हालांकि डीएम ने तहसील परिसर में पुलिस बल की तैनाती कर कोर्ट में सुनवाई बहाल कराने की कोशिश की लेकिन अधिवक्ताओं का सहयोग न मिलने के कारण कोर्ट परिसर खाली रहा।
पुलिस बल की तैनाती देखकर अधिवक्ताओं ने आक्रोश फैल गया। महामंत्री उपेंद्र शुक्ल ने मीडिया से कहा कि जब दो बार बड़े अधिकारियों एडीएम व डीएम से वार्ता हो चुकी थी तो पुलिस बल के माध्यम से कोर्ट चलवाने का क्या औचित्य था। उन्होंने एसडीएम व तहसीलदार पर भ्रष्टाचार का सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि जब तक इन दोनों अधिकारियों का ट्रांसफर नहीं होता है तब तक अधिवक्ता न्यायिक कार्यों से अलग रहेंगे।
वहीं जिला बार एसोसिएशन का अध्यक्ष ने कहा कि प्रशासन पुलिस बल के माध्यम से कोर्ट को चलवाना चाहता है तो बड़े ही दुर्भाग्य की बात है।