सिद्धार्थनगर में प्रत्यासी मौसम की तरह बदल रहे हैं अपना चुनावी रंग

सिद्धार्थनगर / उत्तर प्रदेश

जनपद मुख्यालय सहित क्षेत्र के सभीं तहसीलों में इस समय पंचायत चुनाव का बिगुल बज गया है । जिसे फ़तह करने के लिए लगभग हर प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने के लिए उसी के रंग में मौसम की तरह ढ़लकर अपनी अपनी जीत पक्की मान रहे हैं ।
क्योंकि इस चुनावी क्षेत्र में कुछ एेसे ऐसे प्रत्याशी हैं जो मतदाताओं का वोट ख़रीदने की क्षमता भी रखते हैं अब देखना यह है कि ऊँट किस तरह से करवट लेता है।

एक चुनावी सर्वेक्षण के अनुसार इस चुनावी समर में प्रत्याशियों द्वारा मतदाताओं को वोट के बदले में नाना प्रकार के प्रलोभनों जैसे रूपयों की लालच से अथवा उनका भविष्य संवारनें का आश्वासन देकर उनका मत ( वोट ) ख़रीदा जा रहा है ।
किन्तु इसका परिणाम क्या होगा अन्धकार की गोद में किलकारी मार रहा है । विदित है कि जनपद में तहसील नौगढ़ शोहरतगढ़ बॉसी डुमरियागंज का चुनावी नजारा लगभग एक जैसी है किन्तु इटवा तहसील का चुनावी माहौल कुछ अलग तरह से दैदीप्यमान हो रहा है ।

अब तक के चुनावी माहौल का नजारा समयानुसार बदलते मौसम के साथ क्षण प्रतिक्षण बदल रहा है । जैसा की सबको विदित है कि इस समय ग्राम पंचायत चुनाव का माहौल चल रहा है।
और नगर पंचायत से विरक्त गांवों में अनगिनत प्रधान प्रत्याशी खड़े हुए है। जिसमें से कुछ जनता को रूपयों की लालच देकर, तो कुछ को शराब की बोतल मुर्ग़ मुसल्म के साथ देकर वोट को खरीदनें का प्रयास करने का अनेकों हथकंडे अपना रहे है चुनाव जीतने के लिए।
कैसी बिडम्बना है किजनता भी शिक्षित होकर अशिक्षितों जैसे मात्र चंद रुपयों पर बिक जाती है और अपने कीमती वोट को बर्बाद कर देती है ।जनता की ऐसी मूर्खता से गांव का विकास कभी भी नहीं हो सकता है ऐसी दशा में यह सदैव अल्पविकसित ही बना रहेगा।
चुनाव प्रत्याशी भी कुछ ऐसे है जो शायद किसी ग्रामवासी के घर कभी गए भी न हो और चुनाव जीतने के लिए उनके घरों तक पैदल चलकर जाते है और घर के प्रत्येक सदस्य से हाथ जोड़कर वोट देने के लिए विनती करते हैं ।
इनमे से कुछ ऐसे भी प्रत्याशी हैं जो आज तक किसी के समक्ष झुके तक नहीं होंगे किन्तु चुनाव जीतने के लिए नतमस्तक होकर चरणस्पर्श भी करते हैं।
किन्तु चुनाव जीतने के बाद नतमस्तक हुए प्रत्याशी पांच वर्षों तक इन्ही ग्रामवासियों को पहचानते नही और न ही किसी ग्रामवासी के वार्ता को सुनने के लिए उन्हें समय ही मिलता किन्तु अपने कार्यों को अन्जम देने के जैसे नए-नए घर बनवाने व घूमने आदि के लिए अथाह समय रहता है।
ऐसे ही होता है हमारे यहां का ग्रामपंचायत चुनाव और इन पांचों वर्षों में प्रधान व ज़िला पंचायत सदस्योंकी काया पलट हो जाती है।और बेचारे मतदाता जहॉ थे वहीं रह जाते हैं ।

सिद्धार्थनगर से राजेश शास्त्री की रिपोर्ट बी न्यूज

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