110 साल पुरानी परंपरा पर कोरोना ने लगाया ग्रहण

पट्टी।

प्रतापगढ जनपद के पट्टी तहसील का तीन दिवसीय इतिहासिक दशहरा मेला इस बार नहीं लगेगा।

110 साल की परंपरा अबकी कोरोना के कारण टूट गई।

22 नवंबर यानी आज रविवार से इसकी शुरुआत होनी थी।

कई बार बैठक होने के बाद भी इसके आयोजन पर मोहर नहीं लग सकी।

अब सिर्फ शोभायात्रा, रावण वध,व भरत मिलाप कोविड-19 के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए अल्प समय में सांकेतिक रूप से संपन्न कराया जाएगा।

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थानेदार से सेवाराम ने की थीं मेला की शुरुआत
पट्टी का ऐतिहासिक मेला शताब्दी वर्ष पार करने का गौरव प्राप्त कर चुका है।

वर्ष 1910 में मेला की शुरुआत यहां के तत्कालीन थानेदार सेवा राम सिंह ने कराई थी।

कुछ साल बाद मेले की लोकप्रियता को देखते हुए इसे 3 दिन तक लगाया जाने लगा।

वर्ष 1972 में मेले की सुचारू संचालन के लिए श्री रामलीला समिति की गठन किया।
तबसे पहली बार मेले पर ग्रहण इस बार लगा है।

श्री रामलीला समिति अध्यक्ष जुग्गीलाल जायसवाल ने बताया कि कोरोना के कारण इस बार मेला का आयोजन स्थगित किया गया है।

जो भी औपचारिकताएं होगी उससे भीड़ को दूर रखा गया है। सभी धार्मिक परंपराओं को कोविड-19 के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए संपन्न कराया जाएगा।

सन्नाटे में होगा आयोजन कोरोना के कारण इस बार औपचारिकता ही निभाई जाएगी।

परंपरा को बनाए रखने के लिए आज रविवार को पहले दिन कस्बे में भगवान श्रीराम की शोभा यात्रा व शाम को मेला ग्राउंड में रावण वध का कार्यक्रम संपन्न होगा।

शोभा यात्रा में केवल समिति के लोग ही सम्मिलित होंगे। शोभा यात्रा आज रविवार दोपहर बाद चमन चौक से शुरू होकर कस्बे की सड़कों पर भ्रमण के बाद मेला ग्राउंड में पहुंचेगी।

25 नवंबर को प्रातः कस्बे के मेन रोड स्थित सेंट फ्रांसिस स्कूल के सामने अल्प समय में सांकेतिक रूप से भरत मिलाप संपन्न होगा।

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