एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हम जिस देश में रहते हैं उस देश की पूर्ण जानकारी होना जरूरी होता है खास तौर पर देश के संविधान से जुड़ी बातों की जानकारी होना बहुत महत्वपूर्ण है
क्योंकि तभी आप अधिकारों का सही तरह से उपयोग कर पाएंगे। भारत का संविधान विश्व का सर्वोच्च संविधान जाता है।
इसलिए क्योंकि भारतीय संविधान में लोगों के अधिकारों का ध्यान तो रखा ही गया है साथ ही कोई अपने अधिकारों का दुरुपयोग ना कर सके उसका भी ध्यान रखा गया है।
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आइए बताते हैं भारतीय संविधान से जुड़ी बातें
भारतीय संविधान के निर्माता भारतीय संविधान के निर्माण में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अहम भूमिका निभाई थी जिस वजह से उन्हें संविधान का निर्माता माना जाता है।
संविधान बनने में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर अकेले ही नहीं थे संविधान बनाने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया जिसके अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे। जो आजाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे।.
उसके अलावा संविधान को जिन्होंने अपने हाथों से लिखा था उनका नाम था श्री बिहारी रायजादा।
भारतीय संविधान के कुछ 396 अनुच्छेद 22 भाग और 8 अनुसूचियां थी जी तैयार करने में कुल 2 साल 11 महीने 18 दिन लगा था।
इसलिए भारतीय संविधान को दुनिया का सबसे लंबा और बड़ा संविधान भी माना जाता है।
भारतीय संविधान 26 नवंबर 1949 को बंद कर पूरा हो गया था लेकिन इसे लागू 26 जनवरी 1950 को किया गया था।
26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार होने के बाद भी संविधान को 26 जनवरी 1950 को ही इसलिए लागू किया गया क्योंकि माना जाता है 26 जनवरी के ही दिन साल 1930 में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी ने ब्रिटिश स्वतंत्रता प्राप्त शपथ ली थी।
दिलचस्प बात यह है कि 26 जनवरी के दिन संविधान लागू होने के सिर्फ 10 मिनट बाद राष्ट्रपति भवन में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी
मौलिक अधिकार
भारतीय संविधान के अनुसार भारत के नागरिक 6 मौलिक अधिकार शामिल है इसमें समानता का अधिकार है। शोषण का अधिकार धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार संस्कृति और शिक्षा का अधिकार और संवैधानिक अधिकार शामिल है.
जिसका उल्लेख संविधान में भाग 3 के अनुच्छेद में है। 12 अनुच्छेद 35 में है इसके अलावा मूल संविधान में संपत्ति का अधिकार भी था जिसे संविधान के 44 व संशोधन में साल 1978 में हटा दिया गया था
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