मध्य प्रदेश से सुरेश पटेल की रिपोर्ट बी न्यूज
पहली पत्नी थी रुकमणि
भगवान कृष्ण की पहली पत्नी थीं देवी रुक्मणी। पुराणों में इन्हें देवी लक्ष्मी का अवतार बताया गया है। रुक्मणीजी, विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थीं। रुक्मणीजी भगवान कृष्ण से विवाह करना चाहती थीं लेकिन उनके भाई रुक्मी इस विवाह के खिलाफ थे। इसलिए उन्हें भागकर शादी करनी पड़ी।
दूसरी पत्नी थीं जामवंती
भगवान कृष्ण का दूसरा विवाह जामवंती से हुआ। जामवंती, जामवंत जी की पुत्री थीं। भगवान कृष्ण पर मणि चुराने का आरोप लगा था, इस आरोप को झूठा साबित करने के लिए उन्होंने खुद ही मणि की तलाश शुरू की तो पता चला कि यह पूर्वजन्म के भक्त जामवंत के पास है। जामवंतजी कान्हा को पहचान नहीं पाए इसलिए श्रीकृष्ण से युद्ध किया। फिर जामवंतजी को श्रीकृष्ण में भगवान राम दिखाई दिए इसलिए उन्होंने मणि उन्हें दे दी और अपनी बेटी जामवंती संग उनका विवाह करा दिया।
तीसरी पत्नी थीं सत्यभामा
भगवान कृष्ण की तीसरी पत्नी सत्यभामा थीं। सत्यभामा सत्राजित की पुत्री थीं। जिस मणि को चोरी करने का आरोप कृष्णजी पर लगा था, वह इन्हीं की थी। कृष्णजी ने उनकी मणि वापस कर दी, जिससे सत्राजित लज्जित हुए और आरोपों के लिए माफी भी मांगी। उन्होंने ग्लानि मिटाने के लिए सत्यभामा का विवाह कृष्णजी से करवा दिया और मणि भी दे दी।
चौथी पत्नी थीं कालिन्दी
भगवान कृष्ण की चौथी पत्नी कालिंदी थीं, जो सूर्यदेव की पुत्री थीं। इन्होंने श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने की कामना से तप किया और भगवान ने उनकी मनोकामना पूरी करते हुए इनसे विवाह कर लिया। कालिंदी खांडव नामक जंगल में रहती थीं। यहीं पर पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ बना था।
पांचवी पत्नी थीं नग्नजिति
भगवान कृष्ण की पांचवी पत्नी सत्या थीं। इनका नाम नग्नजिति भी था। नग्नजिति, राजा नग्नजित की पुत्री थीं। राजा ने अपनी बेटी की इच्छा के अनुसार ऐसा स्वयंवर रखा, जो केवल श्रीकृष्ण जीत सकते थे। स्वयंवर की शर्त थी कि जो भी सात पागल सांडो को एक ही अखाड़े में नाथेगा, वही सत्या का पति होगा। कृष्णजी ने शर्त पूरी कर स्वयंवर जीता और सत्या से विवाह किया।
छठवी पत्नी मित्रवृंदा
कृष्ण की छठवीं पत्नी मित्र वृंदा थीं। कहा जाता है कि मित्रवृंदा उज्जैन के राजा विंद और अनुविंद की बहन थीं। मित्रवृंदा श्रीकृष्ण को अपना पति चुनना चाहती थीं, लेकिन विंद और अनुविंद ने अपनी बहन को ऐसा नहीं करने दिया। जिसेक बाद कृष्ण बलपूर्वक मित्रवृंदा को स्वयंवर से उठाकर ले गए थे।
सातवीं पत्नी थीं रोहिणी
भगवान कृष्ण की सातवीं पत्नी रोहिणी थीं। पौराणिक कथाओं में इनका कई बार नाम भद्रा और कैकयी भी पाया गया है। रोहिणी ऋतुसुकृत की पुत्री थीं। रोहिणी ने स्वयं ही स्वयंवर के दौरान श्रीकृष्ण को अपना पति चुना था।
आठवीं पत्नी थीं लक्ष्मणा
भगवान कृष्ण की आठवीं पत्नी लक्ष्मणा थीं। वह कैकेय देश की राजकुमारी थीं। इन्होंने स्वयं अपने स्वयंवर के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के गले में वरमाला पहनाकर उन्हें अपना पति चुना था।
भगवान कृष्ण की 16100 रानियां और 8 पटरानियां थीं
16100 राजकन्याएं नरकासुर की जेल में बंद थीं। जब श्रीकृष्ण ने इन्हें मुक्त कराया तो समाज में कोई भी इन्हें अपनाने को तैयार नहीं था। ऐसे में कृष्णजी ने इन सभी को समाज में सम्मान दिलाने के लिए अपनी रानी बना लिया।
कृष्ण के 1 लाख 61 हजार पुत्र
पुराणों के अनुसार कृष्ण की 1 लाख 61 हजार 80 पुत्र इतना ही नहीं, उनकी सभी स्त्रियों के 10-10 पुत्र और एक-एक पुत्री भी उत्पन्न हुई. इस प्रकार उनके 1 लाख 61 हजार 80 पुत्र और 16 हजार 108 कन्याएं थीं. इस प्रकार श्री कृष्ण भारत के सबसे बड़े परिवार के मुखिया बने, जिन्होंने अपने गृहस्थ जीवन के हर धर्म का समुचित पालन कियाकिया।
श्रीमद्भागवत:सुदामा चरित्र कथा में भगवान कृष्ण व सुदामा के मिलन की सुंदर प्रस्तुति दी
खड़ेरी में आयोजित श्रीमद् भागवत महापुराण कथा में सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि सुदामा की पत्नी ने सुदामा को भगवान श्री कृष्ण के पास जाने का आग्रह किया और कहा कि भगवान श्री कृष्ण दयावान हैं वह हमारी सहायता जरुर करेंगे।
सुदामा ने संकोच भरे स्वर में अपनी पत्नी को कहा कि श्री कृष्ण एक पराक्रमी राजा हैं और मैं गरीब ब्राह्मण हूं मैं कैसे उनके पास जाकर सहायता मांग सकता हूं। सुदामा की पत्नी ने उत्तर दिया क्या हुआ मित्रता में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होता। सुदामा श्री कृष्ण के पास जाने को राजी हो गए उसकी पत्नी पड़ोसियों से थोड़े थोड़े चावल मांग कर लेकर आई एवं सुदामा को वह चावल अपने मित्र को भेंट करने को कहा।
सुदामा महल के बाहर ही खड़े होकर भगवान श्री कृष्ण की प्रतीक्षा करने लगे भगवान श्री कृष्ण सुदामा के पास पहुंचे एवं भगवान श्री कृष्ण सुदामा के मिलन का सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया। महाराज जी ने कहा कि भगवान भाव के भूखे होते हैं जो प्राणी अपनी अंतरात्मा से भगवान को पुकारता है भगवान सदा उसकी रक्षा करता है।