उन्नाव/ब्यूरो गायत्री शुक्ला
जहाँ एक ओर उ.प्र सरकार आम जन को बेहतर चिकित्सकीय सुविधाऐं देने के लिऐ कृत संकल्पित है और शासन की मंशा के अनुरूप जिला प्रशासन भी मुस्तैद होकर कार्य कर रहा है वहीं दूसरी ओर जनपद का स्वास्थ्य विभाग अपनी कार्य प्रणाली से जनता को अपने ख़ैराती होने का अहसास कराते हुए जन मानस को निजी अस्पतालों की ओर ढकेलता नज़र आ रहा है।बीते सप्ताह प्रदेश के मान. उप मुख्य मंत्री/स्वास्थ्य मंत्री ने अपने आकस्मिक दौरे के दौरान व्याप्त अव्यवस्थाओं पर नाराजगी जाहिर करते हुऐ उनमे सुधार करने हेतु निर्देश भी दिऐ थे।तत्पस्चात् जिला अधिकारी ने भी निरीक्षण़ के दौरान सुधार हेतु निर्देशित किया था व दो दिन बाद पुनः निरीक्षण़ हेतु इंगित किया था पर सुधार के कोई भी निशान दूर दूर तक देख़ने को नहीं मिल रहे।
बंद पड़े वाटर कूलर आम जन को जिला अस्पताल के बंद पड़े गेट नं.2 पर गेट पर ही सजी दुकानों से पानी ख़रीद कर पीने को विवश कर रहे हैं।बताते चलें कि गेट नं-2 प्रसवोत्तर केंद्र व ट्रामा सेंटर को मुख्य मार्ग से जोड़कर कम समय मे सामने स्थित मेडिकल स्टोर्स पर भी ले जाता है।आकस्मिक जरूरत पड़ने पर तीमारदारों के पास गेट को फाँदने के अलावा कोई रास्ता नही बचता।जिम्मेदारों का कहना हैं कि बिचौलियों का प्रवेश रोकने के लिए द्वार पर ताला लगाया गया है।
ओ.पी.डी टोकन काउंटर पर एक रु.फुटकर न होने पर अधिकाँशतः बाकी पैसे वापसी होना असंभव ही होता है।इस बाबत जिम्मेदारी कहते हैं कि फुटकर एक रु लाइए अन्यथा इंतजार कीजिये।यद्यपि रेजगारी के पैकेट का प्रबंध टोकन काउँटर पर किया भी जा सकता है पर शायद अतिरिक्त आय की हिस्सेदारी प्रभावित होने के भय से ऐसा नही हो रहा है।औषधि वितरण़ 11 नं मे लगी लंबी कतारें कर्मियों के ख़ाशे सक्रिय होने का प्रमाण़ देती हैं।ट्रामा सेंटर का हाल और भी बुरा।मामूली चोट मोच के दर्द को भी दूर करने मे चिकित्सक वर्षो लगा रहे हैं।
बीते दिनो एक चिकित्सक ने तो सारे रेकार्ड ही तोड़ दिऐ।आयुष्मान कार्ड धारक से सल्य क्रिया हेतु पंद्रह हजार का चढ़ावा माँगकर।ऐसा न कर पाने की अवस्था मे रोगी को रोग की जटिलता बता पल्ला झाड़ लिया गया।कुछ दिन पूर्व भी उक्त चिकित्सक शहर के प्रियदर्शिनी नगर निवासी एक रोगी से शल्य क्रिया हेतु आठ हजार रु माँग चर्चा मे रह चुका है।