झारखंड की राज्यपाल बन सकती हैं देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति

झारखंड

झारखंड से महेन्द राज की रिपोर्ट बी न्यूज़

खबर है कि झारखण्ड की वर्तमान राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू भारत के राष्ट्रपति पद के लिए NDA गठबंधन की संभावित उम्मीदवार हो सकती है। दर असल बाबरी मस्जिद काण्ड में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आडवाणी और जोशी पर मुकदमा चलने के आदेश के बाद इस पद के लिए इन दोनों की उम्मीदवारी की संभावना लगभग ख़त्म हो गयी है।वहीँ वैंकया नायडू का नाम भी आसानी से विपक्षी पार्टियां के गले नहीं उतर रहा है। ऐसे में सूबे की पहली आदिवासी राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का नाम तुरुप का एक्का साबित हो सकता है।

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा और बीजद का मिल सकता है साथ वोटों के जोड़ तोड़ में व्यस्त NDA को दौपदी मुर्मू के नाम पर कुछ विपक्षी दलों का भी साथ मिल सकता है।दौपदी मुर्मू को बतौर राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट करने पर उसे झारखण्ड मुक्ति मोर्चा सहित दूसरी पार्टियों का भी समर्थन हासिल हो सकता है।द्रौपदी मुर्मू का सम्बन्ध ओडिशा से भी है।ऐसे में NDA को बीजू जनता दल का भी समर्थन मिल सकता है।
फिलहाल बीजद के लोक सभा में 20 सांसद हैं।संयोग से द्रौपदी मुर्मू झारखंड और देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल हैं।द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी बना कर बीजेपी और सरकार देश को अलग संदेश दे सकती है। वहीँ विपक्षी पार्टियों को भी दौपदी मुर्मू का विरोध करने के लिए काफी जद्दोजहद करनी होगी।मुर्मू की साफ सुथरी छवि का मिल सकता है लाभ।
20 जून, 1958 को ओड़िशा के आदिवासी परिवार में जन्मी द्रौपदी मुर्मू ने रामा देवी वीमेंस कॉलेज से बी.ए की डिग्री लेने के बाद ओड़िशा के राज्य सचिवालय में नौकरी की।1997 में नगर पंचायत का चुनाव जीत कर राजनीति में पदार्पण किया और पहली बार स्थानीय पार्षद बनीं।अगर द्रौपदी मुर्मू का नाम आगे आता है तो पार्षद से राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने तक का उनका सफर देश की सभी आदिवासी महिलाओं के लिए एक आदर्श और प्रेरणा बनेगा। गौरतलब है कि इतने वर्षो के राजनीतिक जीवन में द्रौपदी मुर्मू पर कोई आरोप नहीं लगा है ऐसे में उनकी साफ़-सुथरी छवि का लाभ NDA को मिल सकता है।

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