चंदौली
शोएब की रिपोर्ट चन्दौली/बी न्यूज़
चंदौली:जिले के अंदर जैसे ही नगर पंचायत और नगर पालिका के चुनाव की तैयारी शुरू हुई तो तमाम तथाकथित समाजसेवी और छोट भइये नेता नेता जनता की आवाज बुलंद करने और समाज सेवा करने के नाम पर हर जगह सक्रिय हो गये।
मीडिया तथा सोशल मीडिया पर जरूरत से ज्यादा ही एक्टिव होते होते हुए अपने इलाके की नुमाइंदगी करने का दावा करने लगे। कुछ ने तो बिना टिकट कंफर्म किए लोगों के यहां संपर्क भी शुरू कर दिया था।
ताकि अपनी सक्रियता का प्रमाण तस्वीरों से दिया जा सके। लेकिन जैसे ही आरक्षण का मामला हाईकोर्ट में पहुंचा और चुनावी प्रक्रिया टलने की संभावना दिखी, वैसे ही सारे समाजसेवी दुम दबाकर बिल के अंदर घुस गए हैं।
तभी तो वह स्थानीय समस्याओं पर चुप्पी साधे हैं। वहीं अधिकारी इसके उलट मानदेय दिए जाने का दावा कर रहे हैं। अब इसकी सच्चाई उजागर किए जाने की जरूरत है।ताजा मामला मुगलसराय इलाके के अंदर पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर पालिका के द्वारा अलीनगर इलाके में संचालित आश्रय गृह (शेल्टर होम) पर काम करने वाले संविदा कर्मचारियों से जुड़ा हुआ है।
संविदा कर्मचारियों ने कई महीनों की सैलरी न मिलने से नाराज होकर शनिवार को आश्रय स्थल पर ताला जड़ दिया था और कर्मचारी घर चले गए थे। सूचना के बाद भी शनिवारदेर शाम तक कोई नगरपालिका का अधिकारी या कर्मचारी उनके पास नहीं पहुंचाकर्मचारियों का कहना था कि 4 वर्षों से कभी भी उनको पूरी तरह से सैलरी नहीं मिली।
आपको याद होगा कि दीनदयाल अंत्योदय योजना के अंतर्गत राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत डूडा की ओर से अलीनगर में 1 करोड़ 30 लाख रुपए खर्च करके 24 जनवरी 2018 को अस्थाई आश्रम का निर्माण कराया गया था। यहां पर 50 बेड तैयार किए गए थे, जिसमें 25 महिलाओं के लिए और 25 पुरुषों के आरक्षित थे।
शेल्टर होम के संचालन के लिए एक मैनेजर, 3 केयरटेकर और एक सफाई कर्मी की तैनाती की गई थी।डूडा की ओर से इसे संचालित किए जाने के लिए नगर पालिका को हर महीने लगभग 50 हजार रुपए भी दिए जाते हैं, लेकिन यह पैसा कहां खर्च होता था। यह जांच का विषय है।
यहां के कर्मचारियों की सैलरी का मुद्दा नगरपालिका के लिए गले की हड्डी बन रहा है।कर्मचारियों का आरोप है कि 1 जनवरी 2019 से उन्हें 8500 रुपए प्रति माह के मानदेय पर रखा गया है। उनको कार्य करते हुए लगभग 4 साल हो गए हैं, पर 4 वर्षों से पूरी तरह से कभी भी सैलरी नहीं मिली। एक कर्मचारी का लगभग 3 लाख रुपए बकाया है।
इस तरह से देखा जाए तो 3 कर्मचारियों का कुल 9 लाख रुपए नगरपालिका के ऊपर बकाया है। कभी भी जबअधिकारियों से बात की गई तो वह मानदेय का भुगतान मनमाने तरीके से करते हैं। मानदेय मांगे जाने पर उन्हें हटाने या फिर मुकदमा दर्ज कराने की धमकी दी जाती है।
वहीं इस मामले में नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी का कहना है कि स्थाई शेल्टर होम के कर्मचारियों को समय से वेतन दिया जा रहा है। ताला बंद करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।