नई दिल्ली
नई दिल्ली से बी.न्यूज़ की रिपोर्ट
- पंजाब-सिंध में आटा 145 से 160 पाकिस्तानी रुपये प्रति किग्रा के आसपास बिक रहा हैं|
- इस्लामाबाद और रावलपिंडी में एक नान 30 पाकिस्तानी रुपये तो एक रोटी 25 रूपए की|
- गेहू की कमी के दावे सिर्फ केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करने के लिए किया गया प्रचार|
मिली खबर के अनुसार आपको बतादें कि पिछले कई हफ्ते से पाकिस्तान में गेहू के आटे की कीमत बेहद ऊँचे स्तर पर मंडरा रही हैं| रोटी और नान देश के प्रमुख खाद्य पदार्थो में से एक हैं और आटे की कीमतों में भारी बढ़ोतरी ने लोगों को काफी मुश्किल में डाल दिया हैं|
सरकारी सिब्सडी वाले आटे को हासिल करने के लिए अवाम की लम्बी कतारे देखी जा सकती हैं| सिंध के मीरपुर ख़ास में ऐसे ही एक वितरण कार्यक्रम के दौरान मची भगदड़ ने 7 जनवरी को एक 35 वर्षीय व्यक्ति की जान ले ली खैबर पख्तूनख्वा में गेहू के आटे की ऊँची कीमतों ने लोगों को आंदोलन के लिए मजबूर कर दिया|
केंद्र और प्रांतीय सरकारों के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया हैं| विशेषज्ञों का कहना है कि लम्बे समय से चले आ रहे इस संकट को रूस यूक्रेन युद्ध ने और गहरा दिया उस पर 2022 की विनाशकारी बाढ़ समेत खराब वितरण व्यवस्था और अफगानिस्तान को गेहू की तस्करी ने कोढ़ में खाज वाला काम किया हैं| हालांकि रूस से गेहू की एक खेप अब पाकिस्तान पहुँच गई हैं और इससे आने वाले हफ्तों में कुछ राहत मिलाने की उम्मीद हैं|
आटे की कीमतों का संकट कितना बुरा?
दो गेहू उत्पादक राज्यों पंजाब और सिंध में आटा 145 से 160 पाकिस्तानी रुपये प्रति किग्रा के आसपास बिक रहा हैं| जबकि खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में भी कीमते अधिक हैं|
जबकि खैबर बलूचिस्तान और बलूचिस्तान में भी कीमते अधिक हैं| मिली खबर के अनुसार आप को बतादें कि पाकिस्तान में 5 किलो और 10 किलो आटे के बैग की कीमतें एक साल पहले की तुलना में अब लगभग दोगुना हो गया हैं|
इस्लामाबाद और रावलपिंडी में एक नान 30 पाकिस्तानी रूपए में बिक रहा हैं जबकि एक रोटी 25 पाकिस्तानी रुपये में बिक रही हैं| 1 पाकिस्तानी रुपये भारतीय रूपए के आगे महज 35 पैसे की वकत रखता हैं|
आखिर किस कारण आया भुखमरी का संकट
पाकिस्तान अपनी खपत से जुडी जरूरतों को पूरा करने के लिए गेहूं का आयात करता हैं| जिसका बड़ा हिस्सा रूस और यूक्रेन से आता हैं| आब्जर्वेटरी ऑफ इकोनॉमिक काम्पलेक्सिटी के आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 में पाकिस्तान ने 1.01 बिलियन डॉलर मूल्य का गेहूं आयात किया जिसमे सबसे अधिक 496 मिलियन डॉलर यूक्रेन से आया इसके बाद 394 मिलियन डॉलर पर रूस का नंबर था|
इस वर्ष रूस यूक्रेन युद्ध ने इस आपूर्ति को बाधित कर दिया| जबकि पिछले वर्ष की बाढ़ ने घरेलू उपज को कही कम कर दिया या नष्ट कर दिया रिपोर्ट के अनुसार आप को बतादे की पाकिस्तान में समस्या अपर्याप्त स्टॉक की तुलना में वितरण की कहीं ज्यादा हैं|
वित्तीय समावेश को बढ़ावा देने वाले करंदाज पाकिस्तान से जुड़े एक अर्थव्यवस्था विषेशज्ञ अम्मार खान के मुताबिक़ सिंध और बलूचिस्तान में गेहूं की कीमतों में बड़ी पैमाने में बृद्धि हुई इसकी वजह पिछले साल आई विनाशकारी बाढ़ हैं| जिसमे गेहूं की महत्वपूर्ण भण्डार को नष्ट कर दिया| अफगानिस्तान में गेहू की तस्करी भी एक कारण हैं|
जिसकी वजह से गेहूं की स्थानीय स्तर पर कमी होती हैं| और कीमतें बढ़ जाती हैं| हालांकि सरकारी गोदामों में गेहूं का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है| वितरण में देरी से बाजार में गेहूं की कमी होती हैं| और इसके फलस्वरूप गेहूं की मूल्य बृद्धि हुई हालांकि अब इस समस्या को दूर करने के प्रयास किये जा रहे हैं|
ये वितरण के मुद्दे आखिरकार है क्या?
भारत की राज्य सरकारों के समकक्ष पाकिस्तान की प्रांतीय सरकारों मीलों को गेहूं प्रदान करती हैं| मिले फिर खुदरा बाजारों में आटा उपलब्ध कराती हैं| जो प्रांत गेहूं की कमी का अनुमान लगाते हैं| वह और अधिक स्टॉक के लिए केंद्रीय पाकिस्तान कृषि भण्डार और सेवा निगम गोदामो से अनुरोध कर सकते हैं|
ग्रामीण इलाको में छोटी चक्किया गेहू की खरीद सीधे किसानो से करती हैं| पाकिस्तान के दो प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य पंजाब और सिंध हैं| अमेरिकी कृषि विभाग के अनुसार पंजाब पाकिस्तान के गेहूं उत्पादन में 77 प्रतिशत,सिंध 15 प्रतिशत, खैबर पख्तूनख्वा 5 प्रतिशत, जबकि बलूचिस्तान 3.5 प्रतिशत का हिस्सा रखता हैं|
खैबर पख्तूनख्वा अफगानिस्तान के साथ अत्यधिक असुरक्षित सीमा साझा करता हैं| और पडोसी देशो में आकर्षक कीमतों को प्राप्त करने के लिए बहुत सारे गेहू की तस्करी करता हैं| सिंध को बीते साल बाढ़ से भारी नुकसान हुआ| जिससे खरीफ फसल काफी प्रभावित हुई|
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में पाकिस्तान के योजना आयोग को यह कहते हुए उद्धृत किया गया हैं| कि बाढ़ ने कृषि और इसके उप क्षेत्रो को 800 अरब रुपये या 3.725 अरब डालर का नुकसान पहुंचाया हैं| इस क्षति का 72 प्रतिशत सिंध द्वार वहन किया गया था|
गेहू के आटे की कमी के पीछे राजनीति भी हैं
केंद्र सरकार सहित कुछ विशेषज्ञों ने दावा किया है कि आटे की कमी इसलिए हुई क्योकि पंजाब और सिंध मिलो के समय पर गेहूं जारी नहीं किया दूसरो का कहना है कि मील मालिकों ने स्टॉक जमा कर रखा था| जिससे कीमते बढ़ गई और सरकार ने उसके खिलाफ कार्यवाई नहीं किया| क्योकि कई प्रभावशाली नेता ग्रामीण कृषि पृष्ठभूमि से आते हैं|
स्थानीय लोगो का यह भी दावा है कि मील मालिक भुगतान करने इच्छुक लोगों को उच्च कीमतों पर आटा बेच रहे हैं| इस कारण खुदरा दुकानों और रियायती बिक्री केन्द्रो के लिए पर्याप्त मात्रा में आटा उपलब्ध नहीं हैं| लाहौर के एक ब्यापारी रब्बी बशीर के मुताबिक़ केंद्र की सत्ता में पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) हैं जबकि पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा दोनों में खान साहब (इमरान खान) की सरकार हैं|
मीलों को गेहू देना प्रांतीय सरकार की जिम्मेदारी हैं| ऐसे में गेहू की कमी के बहुत सारे दावे सिर्फ केंद्र सरकार के दावे सिर्फ केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करने के लिए किया गया प्रचार हैं| पाकिस्तान के पास पर्याप्त गेहूं का स्टॉक हैं| लेकिन इसकी खरीद मीलों की वितरण और जमाखोरी की रोकथाम पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया हैं|
लम्बे समय से चली आ रही समस्या
इस साल पाकिस्तान सरकार ने घोसणा की हैं कि वह 2.6 मिलियन मैट्रिक टन गेहू का आयात करेगी इस कड़ी में पहले 13 लाख मैट्रिक टन की खेप आ चुकी हैं| जिसमे आटे की कीमतों में गिरावट की उम्मीद जगी हैं| हालांकि गेहू का यह आयात बिल गंभीर रूप से कम विदेशी भण्डार से जूझ रहे देश पर एक बड़ा दबाव भी हैं|
इस महीने की शुरुआत में रायटर्स के एक रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक में विदेशी मुद्रा भण्डार 5 अरब डॉलर से कम रह गया हैं| जो मुश्किल से तीन महीने के आयात के लिए पर्याप्त हैं| पंजाब के झांग जिले के एक किसान क्लब-ए-अब्बास ने कहा कि भारत में पंजाब और हरियाणा को रोटी की टोकरी माना जाता हैं|
अगर क्षेत्रफल के हिसाब से देखे तो हमारे पास कम से कम एक ब्रेड का टोकरा होना चाहिए था| ऐसे में हमें बिल्कुल आयात नहीं करना पड़ता अब्बास आगे कहते है हालांकि पाकिस्तान में गेहू के प्रति एकड़ उपज ज्यादा नहीं हैं| इसके अनेक कारण हैं| वर्षों में कृषि में कोई तकनीकी प्रगति नहीं हुई हैं| कोई उच्च उपज देने वाली गेहू की प्रजातियों का विकास नहीं हुआ हैं|
भूमि सुधार भी नहीं हैं| इस बीच नहरे सूख रही हैं| जल स्तर गिर रहा हैं| डीजल बहुत महंगा हैं| बिजली के बिल बहुत अधिक हैं| जबकि आपूर्ति बाधित हैं| किसान को कोई प्रोत्साहन नहीं मिलता हैं| उर्वरक महंगा हैं| क्योकि यूरिया के अलावा अन्य का आयात किया जाता हैं| और हमारी मुद्रा का अत्यधिक अवमूल्यन हो चुका हैं|
पाकिस्तानी कृषि पर विश्व बैंक की 2022 की एक रिपोर्ट में कहा गया हैं विकास भागीदारों के समर्थन से काफी सार्वजनिक खर्च के बावजूद कृषि विकास 1970-2000 के बीच औसत से घटकर 3 फीसदी से नीचे आ गया हैं|
अन्य खाद्य पदार्थ
गेहू के विपरीत चावल पाकिस्तान के प्रमुख निर्यातों मेंसे एक हैं| इस आटे की किल्लत से चावल की मांग घरेलू स्तर पर बढ़ी हैं| लाहौर में सिद्दीकिया राइस मील्स के निदेशक और पाकिस्तान के राइस एक्सपर्ट एसोसिएशन के सदस्य मुहम्मद जुबैर लतीफ़ चौधरी ने बताया पाकिस्तानी चावल दुनिया भर में निर्यात किया जाता हैं|
सच तो यह हैं कि सुपर बासमती चावल का उल्लेख वारिस शाह की कृति हीरा राँझा में मिलता है| इस साल बाढ़ ने चावल के कुल उत्पादक को प्रभावित किया| खासकर दक्षिणी पंजाब और पश्चिमी बलूचिस्तान में ऊपर से गेहू की कमी आई हैं| जिसके कारण टूटे हुए बासमती चावल की मांग कई गुना बढ़ गई हैं|
मिली खबर के अनुसार आपको बतादें की दाल की कीमत भी बढ़ रही हैं| 13 जनवरी के लेख में कहा गया कि चना दाल की कीमत 1 जनवरी 2023 को 180 पाकिस्तानी रुपये से बढ़कर 1 दिसंबर 2022 को 170 रूपये प्रति किलोग्राम हो गई थी|
जबकि मसूर दिसंबर में 200 पीकेआर से 225 पर आ गई यह बैंको द्वारा प्रासंगिक दस्तावेजों के अनुमोदन में देरी के कारण बंदरगाह पर आयोजित खेप की गैर-मंजूरी के कारण हो रहा हैं|