नई दिल्ली
नई दिल्ली से राजेन्द्र कसेरा की रिपोर्ट बी.न्यूज़
पाकिस्तान में पिछले तीन साल में आतंकवाद के मामलों में वृद्धि देखी गई है। 2021 की तुलना में 2022 में आतंकवाद (Terrorism) की घटनाओं में 28 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अपनी काली करतूतों पर इतराने वाला पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा था|
जो अब यही उसके लिए नासूर बन गए हैं। आलम यह है कि अगर पाकिस्तान में मौजूदा स्थिति बरकरार रहा तो मुल्क आतंकवादियों के कब्जे में हो जाएगा। दरअसल, पेशावर में सोमवार को हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में एक बार फिर से आतंकवाद को लेकर चिंता बढ़ गई है।
इस हमले में 93 लोगों की अब तक मौत हो चुकी है। फिदायीन हमले में 150 से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। पेशावर में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के एक धड़े ने ली है।ये घटनाएं तब और भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं|
जब देश राजनीति और खराब अर्थव्यवस्था की चुनौतियों से जूझ रहा है।अमेरिका के अफगानिस्तान से निकलने के बाद तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने तालिबान का समर्थन किया था। वह अपने भाषणों में कहते रहे कि तालिबान ने नाटो और अमेरिका को हरा दिया।
अफगान तालिबान हो या TTP दोनों की विचारधारा एक ही है। जहां एक तरफ मुल्क पहले से ही कंगाली में डूबा पड़ा है तो वहीं कई सामान की भारी किल्लत झेलनी पड़ रही है।