उन्नाव
उन्नाव से राजेन्द्र कसेरा की रिपोर्ट बी.न्यूज़
इस जघन्य हत्या कांड की जड़े पुरानी दोस्ती से दुश्मनी में तब्दील हुई एक ऐसी कहानी से जुड़ी है जहाँ हर जगह पुलिस की लापरवाही या संदिग्ध संलिप्तता दिखाई देती है।यह मामला हत्याकांड के एक महीने पहले अवैध असलहा बिक्री में पकड़े गए गांव के हरी के दामाद के छोटे भाई रमेश की गिरफ्तारी से शुरू होती है।दरसल सूत्रों के अनुसार रमेश और हत्यारोपी मंगल पुत्र दुल्ला अवैध असलहा बिक्री में साथ साथ थे।
परंतु पुलिस से छुड़ाकर मंगल भाग निकला और रमेश रंगे हांथ पकड़ा गया।जिससे बाद में जेल से छूटने के बाद रमेश द्वारा पुलिस की मुखबिरी के शक में मंगल से होली के दिन आपस मे कहासुनी और गाली गलौज हुई ।जिसमे दोनों तरफ से पत्थरबाजी हुई।
प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो मंगल के साथ उनके घर के चार और लोगो द्वारा छत से अवैध असलहो से 10 राउंड के आसपास गोली चलाई गयी थी।जिसमे एक गोली हरी पुत्र अंशु की जांघ में घुस गई थी।जिसका सफल आपरेशन हैलेट कानपुर में करके गोली निकाली गई है।
हैरानी की बात यह रही की मौके परदो लोगों के पकड़े जाने पर भी पुलिस द्वारा एक भी अवैध असलहा कल रात हत्या के पूर्व तक बरामद नही कराया जा सका है।जबकि मौके पर मंगल का एक साथी जो फतेहपुर का निवासी बताया जाता है जब पकड़ा गया था उसने असलहो को जंगल मे छुपाने की बात कबूली थी।
परंतु पुलिस न जाने किस भय या प्रलोभन से उस जगह तक नही गयी।कल शाम को लगभग 3 से 4 बजे के बीच भयभीत लगभग 50 ग्रामीण महिलाओ और पुरुषों ने थाना प्रभारी श्री सुधीर कुमार सिंह जी से मिले।जिसमे उनके द्वारा ग्रामीणों को उल्टा केस लगाने की धमकी देकर भगा दिया गया था।
गांव में जिन दो पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई वह रात में हत्यारोपियों के घर मे सो रहे थे।इससे कही न कही अपराधी का मनोबल बढ़ा और उसने सोते हुए राजाराम पुत्र श्यामा की गोली मार कर नृशंस हत्या कर दी।
लोगों का कहना है कि पुलिस ने शुरुवात में ही प्रभावी कार्यवाही अगर की होती तो एक व्यक्ति को अपनी जान नही गवानी पड़ती।