उन्नाव
उन्नाव से राजेंद्र कसेरा की रिपोर्ट बी.न्यूज़
ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध स्वतंत्रता संग्राम का सर्वप्रथम शंखनाद करने वाले अमर शहीद मङ्गल पाण्डेय के संघर्ष की रोमांचक दास्तान बैरकपुर की 24 नम्बर पलटन में मंगल पांडेय तैनात थे। कारतूसों में चर्बी की बात जंगल की आग की तरह फैल गई थी। अंग्रेजों के विरुद्ध रोष की लहर चल रही थी। 27 फरवरी 1857 बरहमपुर की 19 नंबर की पलटन ने नए कारतूस लेने से मना कर दिया।
कर्नल मिचेल ने धमकी दी कि अगर सैनिक कारतूसों का प्रयोग नहीं करेंगे तो उन्हें वर्मा या चीन भेज दिया जाएगा। 29 मार्च 1857 एक हाथ में तलवार व दूसरे हाथ में बंदूक लेकर वे बाहर निकले और अन्य सिपाहियों को धर्म युद्ध में शामिल होने का आह्वान करने लगे। पता लगते ही मेजर ह्यूसन वहां आ गया ।उसने सामने खड़े सैनिकों को आज्ञा दी मंगल पांडे को गिरफ्तार करें पर कोई आगे नहीं बढ़ा। मंगल पांडे ने निशाना साध कर 1857 की क्रांति की पहली गोली मेजर ह्यूसन पर चला दी और क्रांति की वेदी पर पहली बलि चढ़ गई।
इतने में ही एडजुटेंट लेफ्टिनेंट बाघ तथा सार्जेन्ट हडसन घटनास्थल पर आ गये। मङ्गल पाण्डेय ने उनपर भी गोली चला दी पर निशाना चूक गया। मङ्गल पाण्डेय हडसन और बाघ ने तलवारें निकाल लीं। मङ्गल पाण्डेय के सामने दोनों की एक न चली। हाय रे दुर्भाग्य शेख पलटू नामक सिपाही ने आगे बढ़ कर मङ्गल पाण्डेय का हाथ पकड़ लिया और मौका पाकर दोनों अंग्रेज भाग निकले।
अब जनरल हियरसे आ गया। उसने मंगल पांडे को पकड़ने का आदेश दिया पर सैनिकों ने कहा गिरफ्तार करना तो दूर हम पंडित जी को हाथ भी नहीं लगाएंगे। किन्तु कोई भी सिपाही लड़ने को सामने नहीं आया। मङ्गल पाण्डेय शेर की तरह दहाड़ते हुऐ मैदान में एक ओर से दूसरी ओर चक्कर लगा रहे थे। साथी सिपाहियो के सहयोग न देने से मंगल पांडे निराश हो चुके थे ।उन्होंने दुख से आत्महत्या करने की कोशिश की ।
गोली छाती पर लगी और वह बेहोश होकर गिर पड़े ।उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट मार्शल का ड्रामा किया गया और 8 अप्रैल 1857 को फांसी की सजा सुनाई गई और उसी दिन फाँसी दे दी गई।मंगल पांडे के प्रति लोगों के मन में इतनी श्रद्धा थी कि बैरकपुर का कोई जल्लाद फांसी देने के लिए तैयार नहीं हुआ। अंतत कोलकाता से चार जल्लाद बुलाए गए ।भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों का यह पहला बलिदान है।
इस बलिदान की कथा देश भर की छांवनियों में विद्युत गति से पहुंची ।हिंदुस्तानी सिपाही उन्हें धर्मवीर मानने लगे ।मंगल पांडे जी 24 नंबर पलटन के सिपाही थे। उस पलटन को सिपाहियो के शस्त्र और वर्दियां उतरवाकर भंग कर दिया गया। सेना के 500 सिपाही मंगल पांडे की वीर गाथा गाते हुए अपने अपने घरों को लौट गये।
मंगल पांडे अमर रहे।
वन्दे मातरम