गौशालो में गायों के गोबर से बनाये कई नए प्रोडेक्ट
इ कॉमर्स नेटवर्किंग साइटों के माध्यम से अपने प्रोडक्ट को लोगो तक पहुँचाया
मौदहा हमीरपुर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के मामले को लेकर क्षेत्रीय युवाओं ने आत्मनिर्भर बनने की एक अनोखी पहल शुरू कर दी है।और गौशाला में गायों के गोबर से कई प्रोडक्त बनाकर बाहर लगने वाले किसान मेलों और प्रदर्शनियों के माध्यम से बेचकर आय अर्जित की जा रही है और शीध्र ही इन प्रोडक्ट की बिक्री ई-कामर्स साइट्स अमेजान और फ्लिपकार्ट के माध्यम से की जायेगी।
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हमीरपुर जिले के मौदहा कोतवाली क्षेत्र के ग्राम भैंसता में स्थित गौशाला में नाबार्ड के तहत मिले अनुदान से गायोँ के गोबर से धूपबत्ती, अगरबत्ती, हवन केक,दीपक,माला के मोती सहित अन्य सामग्री बनाई जा रही हैं। साथ ही गौशाला में वर्मी कम्पोस्ट खाद,जीवामृत और घन जीवामृत जैसी प्राकृतिक खादों द्वारा किसानों को खेती में अच्छी पैदावार देने के बारे में भी जानकारी दी जाती है।
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गौशाला में बन रहे प्रोडक्ट के बारे में जानकारी देते हुए मनोज कुमार ने बताया कि शांतिकुंज हरिद्वार गायत्री परिवार की और नाबार्ड के सहयोग से इस कार्य का आरंभ किया था जिसकी प्रेरणा उन्हें जिलाधिकारी हमीरपुर ज्ञानेश्वर त्रिपाठी, मुख्य विकास अधिकारी कमलेश वैश्य और जिला विकास अधिकारी से मिली थी गौशाला में बन रहे प्रोडक्ट के बारे में तिंदुही निवासी मनोज कुमार ने बताया हमारे यहां पर बन रही घनजीवामृत नामक खाद डीएपी खाद का विकल्प है जिसमें गोबर, गौमूत्र, बेसन,गुड के साथ ही पीपल या बरगद के वृक्ष की छाल पत्तियों के साथ ही खेतों की मिट्टी मिलाकर बनाई जाती है।तथा जीवामृत खाद को यूरिया के विकल्प के तौर पर प्रयोग किया जाता है।जो प्राकृतिक खादों द्वारा प्राकृतिक कृषि को बढाने देने के उद्देश्य से बनाई जाती है उक्त संस्था राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक(नाबार्ड) द्वारा प्रायोजित और कौस्तुभ एग्रो प्रोसेसिंग प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड(एफ.पी.ओ)द्वारा संचालित है।जो गौ तीर्थ क्षेत्र(गौ संरक्षण केंद्र)के रूप में विकसित किया जा रहा है।और. शीध्र ही संस्था द्वारा उक्त स्थान पर किसानों के लिए प्राकृतिक कृषि के प्रशिक्षण की व्यवस्था की जायेगी मनोज कुमार ने बताया कि हमारे इस कार्य द्वारा लगभग डैढ दर्जन लोगों को रोजगार प्राप्त हो रहा है।क्योंकि संस्था द्वारा मशरूम, गौमूत्र सहित अन्य उत्पादों को शहरों में लगने वाली प्रदर्शनी और किसान मेलों के माध्यम से बिक्री की जा रही है।और शीध्र ही इन प्रोडक्ट को ई-कामर्स द्वारा अमेजन और फ्लिपकार्ट द्वारा भी की जानी है।और हम चाहते हैं कि हमारे युवा और किसान भाई भी प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर जीविकोपार्जन करने का प्रयास करें।और स्वरोजगार योजना को बढावा दें जिससे देश और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होगी।