फतेहपुर सं.सू
उत्तर प्रदेश, जहां पर एक तरफ कोरोना वायरस महामारी से लड़ते-लड़ते हमारा संपूर्ण भारतवर्ष के गरीबों,किसानों और मध्यम वर्गीय नौकरी पेशा वर्ग की कमर टूट चुकी है। इस महामारी में विद्यालय पूर्ण रूप से बंद कर दिए गए थे बड़े-बड़े नामचीन विद्यालयों में ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही थी लेकिन शासन प्रशासन को यह नहीं पता कितने घरों की लड़कियां लड़के पढ़ाई के नाम पर गंदे गंदे वीडियो और फोटो देख रहे थे जिससे वह बर्बाद होते जा रहे थे। छोटी क्लास वाले बच्चों के स्कूल पूरी तरह से बंद रखे गए थे।
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अब लगभग छोटे बच्चों के विद्यालय पूर्ण रूप से चालू कर दिए गए हैं विद्यालय प्रबंधक व उनके कारिंदे लगातार बच्चों को और अभिभावकों को फीस को लेकर लगातार परेशान कर रहे है ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि अमीर और सरकारी नौकरी वाला व्यक्ति अपने बच्चों की फीस तो भर देगा लेकिन उन गरीब लाखों व्यक्तियों का क्या होगा जिनके घरों में एक वक्त का खाना बन रहा है नौकरी खत्म हो गई हैं कारोबार बंद हो गए हैं महंगाई कमर कसे हुई है उनके दिल से पूछो जो एक वक्त का खाना खा रहे हैं कैसे अपने बच्चों की फीस भरेंगे लेकिन विद्यालय संचालक एवं प्रबंधक बच्चों व अभिभावकों को लगातार प्रताड़ित करते आ रहे हैं अगर आप वर्ष भर की फीस नहीं भरी तो आपको फेल कर दिया जाएगा और आप का बच्चा 1 साल पीछे हो जाएगा यहां तक कि देखा गया है जनपद में कई विद्यालय फीस की माफी भी की है जो पूर्ण वर्ष की फीस ना लेकर आधे वर्ष की फीस जमा कर रहे हैं और वहीं बिंदकी तहसील के कई नामचीन विद्यालय अधिकारियों से सांठगांठ करके सिर्फ 20-25 प्रतिशत की माफी करके पूर्ण वर्ष की फीस जमा करने के लिए बच्चों को प्रताड़ित कर रहे हैं।
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हालात ये हैं कि कस्बे मे चलने वाला एक नामचीन विद्यालय जो कि वर्ष 2005 से 2018 तक कक्षा 8 तक की कक्षाऐं संबंधित विभागीय अधिकारियों से साँस गाँठ कर बगैर मान्यता के चला रहा था वो मानक विहीन होने पर भी आपदा मे अवसर तलाश कक्षा 9 व 10 का संचालन कोरोना काल से ही निर्भय होकर कर रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार और फतेहपुर जनपद के प्रशासन को इस विषय में गंभीरता से विचार विमर्श करना चाहिए ताकि गरीब बच्चों के जिंदगी का सवाल है! अगर इस तरह विद्यालय संचालक फीस के लिए प्रताड़ित करते रहेंगे तो मीडियम क्लास एवं गरीब व्यक्ति अपने बच्चों को विद्यालय भेजने में असमर्थ हो रहे है तो ऐसे में उन्नाव जनपद से लेकर हमारे शहर में अनपढ़ों की संख्या बढ़ जाएगी। ऐसे विद्यालय संचालकों के ऊपर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए और बच्चों की फीस माफ की जाए।
ब्यूरो महेंद्र राज शुक्ला