लक्ष्मी विलास बैंक को मिलाया जा रहा है डेवलपमेंट बैंक ऑफ सिंगापुर में

लक्ष्मी विलास बैंक जो कि एक साउथ इंडियन बैंक है उसे अब एक विदेशी बैंक डेवलपमेंट बैंक आफ सिंगापुर में मिलाया जा रहा है।

क्यों डूब रही है लक्ष्मी विलास बैंक?

लक्ष्मी विलास बैंक की देशभर में कुल 16 राज्यों में 567 शाखाएं और 918 एटीएम चल रहे हैं।

फिर भी यह बैंक डूबने वाली हालत में पहुंच गई है जिसके कारण सरकार ने तमिलनाडु के प्राइवेट सेक्टर के लक्ष्मी विलास बैंक पर 1 महीने के लिए कई तरह की पाबंदियां लगा दी है।

कुछ महीने पहले बैंक के शेयर धारकों ने एनुअल जनरल मीटिंग में वोट के आधार पर बैंक के एमडी और सीईओ के साथ-साथ निदेशकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया और उन्हें बैंक से निकाल दिया।

लक्ष्मी विलास बैंक चेन्नई आधारित बैंक है।

जिसकी स्थापना वर्ष 1926 में करूर के साथ व्यापारियों के समूह ने की।

जिसका नेतृत्व श्री वी एस एन रामलिंग चेट्टियार ने किया।

बैंक को 3 नवंबर वर्ष 1926 को भारतीय कंपनी अधिनियम 1913 के तहत शामिल किया गया।

और 10 नवंबर 1926 को व्यवसाय रूप से शुरू करने के लिए प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।

बैंक ने 19 जून 1958 को आरबीआई से अपना पहला बैंकिंग लाइसेंस प्राप्त किया।

वर्ष 1958 में 11 अगस्त को यह पूर्व वाणिज्यिक बैंक के रूप में काम करने के लिए सांकेतिक क्षमता बन गई।

कहां से शुरू होता है बैंक का घाटे का कालक्रम?

वर्ष 2019 में यह शुरू होता है जब रिलीगेयर फाइन्वेस्ट ने लक्ष्मी विलास बैंक में 794 करोड़ का फिक्स डिपाजिट निवेश किया।

लक्ष्मी विलास बैंक ने रैली गियर के इस एफडी के खिलाफ फार्मा की प्रमुख रैनबैक्सी और फॉर्टिस हेल्थ केयर के पूर्व प्रमोटर्स मालविंदर सिंह और शिविंदर सिंह को निवेश फॉमोको ने लोन जारी किया।

जिसके बाद रैली गियर फिनेस्ट ने आरबीआई में इस बैंक की शिकायत कर दी कि उन्होंने उसी के पैसे को उनकी विरोधी कंपनियों को दे दिया।

आरबीआई में शिकायत करने के बाद ट्रंप करेक्टिव एक्शन ऑफ आरबीआई के तहत आरबीआई ने इस बैंक की जांच शुरू की।

यह खबर सितंबर 2019 की है जिसके बाद से आरबीआई ने लक्ष्मी विलास बैंक पर कई तरह के रोग लागू कर दिए।

इसके अंतर्गत लक्ष्मी विलास बैंक अपनी कोई नई शाखा नहीं खोल सकती थी और किसी नए शेयर होल्डर से शेयर नहीं खरीद सकती थी।

जिसके बाद आरबीआई के कहने पर लक्ष्मी विलास बैंक को रैली गियर को उनके पूरे पैसे वापस करने थे।

अब लक्ष्मी विलास के पास पैसों की कमी हो गई जिसकी वजह से उसने इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस के साथ विलय का प्रस्ताव रखा।

पर indiabulls housing finance ने इस प्रस्ताव को फेल कर दिया जिसे पीसीए ढांचे के तहत रखा गया था।

जिसके बाद लक्ष्मी विलास बैंक के शेयर धारकों ने निर्देशक मंडल से सात सदस्यों को तथा सीईओ और एमडी ए सुंदर सहित सभी को हटा दिया गया।

धारको ने कहा कि यह सभी उस पैसे का ध्यान नहीं रख पा रहे थे जो बैंक में था।

जिसके बाद आरबीआई ने अपनी 3 मेंबर की कमेटी ऑफ डायरेक्टर्स के साथ लक्ष्मी विलास बैंक का मैनेजमेंट संभाला।

आरबीआई ने मीना माखन को इस बैंक के लिए अप्रूवल दिया।

जो इस बैंक की 2 रन डे टुडे की डायरेक्टर ऑफ हेड बनी।

उसके बाद भी इस बैंक को काफी लंबे समय तक घाटों का सामना करना पड़ा।

2020 के फर्स्ट क्वार्टर में इसे 112 करोड़ का घाटा हुआ।

वहीं दूसरे क्वार्टर में यह घाटा डबल हो गया।

जिसके बाद आरबीआई ने इसके ऊपर चालू एवं बचत खातों से केवल 25000 प्रतिमा और आपातकालीन समय में 50000 प्रतिमा रुपए निकालने तक प्रतिबंधित कर दिया।

और इसे अब डेवलपमेंट बैंक आफ सिंगापुर में मिलाने की बात कही जा रही है

कौन है development Bank of Singapore

यह विश्व की 10वें नंबर की सबसे बड़ी बैंक है।

इसी हाल ही में बेस्ट डिजिटल बैंक का भी अवार्ड मिला है।

विश्व की बेस्ट बैंकों में से एक है।

इसके पास 442 बिलियन डॉलर के असेट्स हैं।

इसकी प्रतिवर्ष कमाई 11 पॉइंट 5 बिलीयन डॉलर है।

इसके पास बाइस हजार स्टार्टअप फ्यूचरेडी workforce भी है।

इसकी 18 मार्केट में 280 से अधिक ब्रांच है।

अब देखना होगा कि इस नए मर्जर से भारत को किस तरह से लाभ होता है या हानि।

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