आखिर किस मन्दिर में मिलता है नि:संतान को संतान प्राप्ति का वरदान

बुंदेलखंड

बुंदेलखंड से राजेंद्र कसेरा की रिपोर्ट बी.न्यूज़

  • बुंदेलखंड में 600 साल पुराना मंशापूर्ण हनुमान जी का मंदिर चिरगांव: नि:संतान को मिलता संतान प्राप्ति का वरदान।

सिद्ध पीठ श्री राम दरबार चिरगांव जहां संतान की मनोकामना लेकर पहुंचते दंपत्ति संतान होने के बाद करते झूले का दान मंदिर में टंगे हजारों झूले ।
विश्व के नक्शे पर बुंदेलखंड की भूमि क्रांति वीरों एवं योद्धाओं की कर्म भूमि रही है । देश में पहली क्रांति सन् 1842 में उत्तर प्रदेश के झांसी जिला मे चिरगांव से हुई थी  देश को आजाद कराने के लिए राव बखत सिंह जूदेव ने अंग्रेजों से लोहा लेकर स्वतंत्रता का बिगुल बजा दिया था।

यहीं पर राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रीय लेखक सियारामशरण गुप्त का जन्म हुआ था । विदेशों में मुंशी अजमेरी जी की काव्य गाथा का बखान अमेरिका जर्मनी जापान की पुस्तकों में किया गया है । उनका जन्म भी वीर भूमि चिरगांव में हुआ था । ओरछा रियासत, दतिया रियासत और चिरगांव रियासत के कुल गुरु हरनारायण पाराशर की जन्म और कर्म भूमि चिरगांव रही ।

इस युग में आजकल चिरगांव की नई पहचान यहां के श्रीराम जानकी मंदिर से भी हो रही है। पहचान का कारण भी अनोखा है। किला परिसर के प्राचीन मंदिर में प्रवेश करते ही बच्चों के सैकड़ों पालने (झूला) टंगे दिखाई देते हैं। पालने टंगे होने का कारण है l

यहां 600 साल पुराना मंशापूर्ण हनुमान जी का मंदिर है । यहां पुजारी हरिमोहन पाराशर कहते हैं कि मंदिर की मान्यता है कि यहां जो भी दंपत्ति संतान की मनोकामना लेकर आता है, उसे संतान प्राप्ति अवश्य होती है। संतान होने के बाद दंपत्ति मंदिर में झूला अवश्य चढ़ाते हैं। करीब 100 साल से श्रीराम जानकी मंदिर में झूले चढ़ाने का सिलसिला चल रहा है। इस दौरान हजारों की संख्या में लोग यहां आए और उन्हें संतान प्राप्ति हुई है। मंदिर में संकट मोचन हनुमान जी के

दर्शन होते है । शिव पार्वती का अद्भुत मंदिर है ।श्रद्धालुओ द्वारा चढ़ाए गए हैं। अब मंदिर में झूले रखने की जगह नहीं बची है तो छत पर झूले रखवा दिए गए हैं। मंदिर में विदेशी सैलानियों व पर्यटकों का पहुंचना अनवरत जारी है, लोग संतानों की कामना के लिए यहां पहुंचते हैं ।

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