आखिर क्या हैं “राम नाम सत्य है” का रहस्य

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश से सुरेश पटेल की रिपोर्ट बी न्यूज

राम नाम सत्य है ये बोलना कब से शुरू हुआ मुरदे के पिछे राम नाम सत्य है ऐसा क्यों बोला जाता है ।

 

एक समय कि बात जब तुलसीदास अपने गांव में रहते थे । वो हमेशा राम कि भक्ति मे लीन रहते थे उनको घरवाले ने और गांव वाले ने ढोंगी कह कर घर से बाहर निकाल दिया तो तुलसीदास गंगा जी के घाट पर रहने लगे वही प्रभु की भक्ति करने लगे|

जब तुलसीदास रामचरितमानस की रचना शुरू कर रहे थे। उसी दिन उसके गांव में एक लडके की शादी हुई और वो लडका अपनी दुल्हन को लेकर घर अपने घर आया और रात को किसी कारण वश उस लडके कि मृत्यु हो गई लडके के घर वाले रोने लगे सुबह होने पर सब लोग लडके को अर्थी पर सजाकर शमशान घाट ले जाने लगे तो उस लडके कि दुलहन भी सती होने कि इच्छा से अपने पति के अर्थी के पीछे पीछे जाने लगे लोग उसी रास्ते से जा रहे थे।

जिस रास्ते में तुलसीदास जी रहते थे, लोग जा रहे थे तो जो लडके की दुल्हन की नजर तुलसीदास पर पडी तो उस दुल्हन ने सोची अपने पति के साथ सती होने जा रही हुँ एक बार इस ब्राह्मण देवता को प्रणाम कर लेती हुँ।

वो दुल्हन नहीं जानती थी कि ये तुलसीदास है उसने तुरंत तुलसीदास को पैर छुकर प्रणाम किया तो तुलसीदास ने उसे अखण्ड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दिया। तो सब लोग हँसने लगे और बोला रे तुलसीदास हम तो सोचते थे तुम पाखंडी हो लेकिन तुम तो बहुत बडे मूर्ख भी हो इस लडकी की पति मर चुका है|

ये अखण्ड सौभाग्यवती कैसे हो सकती है। सब बोलने लगे तुम भी झुठा तेरा राम भी झुठा तुलसीदास जी बोले-हम झुठे हो सकते हैं लेकिन मेरे राम कभी भी नहीं झूठे हो सकते है। तो सबने बोला परिणाम दो तो तुलसीदास जी ने अर्थी को रखवाया और उस मरे हुये लडके के पास जाकर उसके कान में बोला “राम नाम सत्य है”।

ऐसा एक बार बोला तो लडका हिलने लगा दुसरा बार फिर तुलसीदास ने लडके के कान में बोला राम नाम सत्य है। लडका को थोडा अचेत और आया तुलसीदास फिर तीसरी बार उस लडके के कान में बोला राम नाम सत्य है, और वो लडका अर्थी से निचे उठ कर बैठ गया सभी को बहुत आश्चर्य हुआ कि मरा हुआ कैसे जीवित हो सकता है।

सबने मान लिया और तुलसीदास के चरणों में दण्डवत प्रणाम करके माफी मांगने लगा तो तुलसीदास जी बोले अगर आपलोग यहाँ इस रास्ते से नहीं जाते तो मेरे राम के नाम को सत्य होने का प्रमाण कैसे मिलता ये तो सब हमारे राम कि लीला है उसी दिन से ये प्रथा चालु हो गई की मुर्दे के पिछे राम नाम सत्य है बोला जाता हैं।

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