झारखंड के एक लाख बीएड प्रशिक्षित की डिग्री हुई बेकार,नहीं बन पा रहे शिक्षक

झारखण्ड

झारखंड से बी.न्यूज़ की रिपोर्ट

झारखंड के एक लाख बीएड प्रशिक्षित की डिग्री बेकार होने के कगार पर है। शिक्षक बनने के लिए बड़े शौक से बीएड की पढ़ाई की। पर अब इनकी डिग्री काम नही आ रही है।

दरअसल शिक्षक नियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों का जेटेट पास होना अनवीर्य है। तभी वे पहली से आठवीं कक्षा तक के शिक्षक बन पाएंगे। अभ्यर्थी निजी स्कूलों के शिक्षक भी नहीं बन पाते हैं। पर दुर्भाग्य कि झारखंड में पिछले JTET की परीक्षा 2016 में आयोजित हुई थी इसके बाद से करीब एक लाख अभ्यर्थी प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षण परीक्षा पास कर चुके हैं। और इन्हें छह वर्षो से एग्जाम में बैठने का मौका तक नहीं मिला है।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत हर वर्ष एक परीक्षा लेने का प्रावधान है। पर राज्य में पिछले 12 वर्ष में मात्र अबतक जेटेट हुई। राज्य में पिछले छह साल से एक भी जेटेट का आयोजन नहीं हुआ है। इस दौरान दो नियमावली बदल गई है। पर इसमें अब फिर से बदलाव होगा तभी ये शिक्षक नियुक्ति में भाग ले सकते हैं।

जेटेट के लिए बनी तीन नियमावली

झारखंड में वर्ष 2011 में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद जेटेट के लिए तीन नियमावली बन चुकी है पहली नियमावली 2012 में बनी थी जिसके तहत दो परीक्षाएं हुई। इसके बाद 2019 में फिर नयी नियमावली बना।

इसके तहत परीक्षा नहीं हुई पर इसमें बदलाव हो गय। इसके बाद फिर वर्ष 2022 में नियमावली में संशोधन किया गया। इसके अंतर्गत भी परीक्षा नहीं हो पाई है। वर्ष 2022 की नियमावली में अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए झारखंड से मैट्रिक, इंटर परीक्षा पास होना अनिवार्य किया गया था पर झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की नियमावली में इस प्रावधान को झारखंड हाइकोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है ऐसे में नियमावली में फिर बदलाव करना पड़ेगा।

पहले नियुक्ति की थी तैयारी :

राज्य में वर्ष 2016 में हुई जेटेट में लगभग 55 हजार अभ्यर्थी सफल हुए थे। इन्हें अब तक एक बार भी शिक्षक नियुक्ति में शामिल होने का अवसर नहीं मिला म शिक्षा विभाग तैयारी कर रहा था पर पहले इन अभ्यर्थियों को एक नियुक्ति परीक्षा में शामिल होने का अवसर दिया जाये, इसके बाद फिर से पात्रता परीक्षा ली जाये। पर दोनों पर विराम लग चुका है। जेटेट के लिए अब फिर से नियमावली में संशोधन करना होगा।

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