कानपुर
कानपुर से राजेन्द्र कसेरा की रिपोर्ट बी.न्यूज़
- जल ना बचाया तो तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिए संभव ज्योति बाबा |
जल जमीन और जंगल से जुड़ी बुनियादी व्यवस्थाओं के संरक्षण में महिलाओं का अहम रोल ज्योति बाबा | - जल संरक्षण में आज की पीढ़ी की बड़ी जिम्मेदारी ज्योति बाबा |
कानपुर। विश्व जल दिवस 2023 की थीम है कि पानी और सैनिटाइजेशन की क्राइसिस को दूर करने के लिए तेज गति से वर्तमान स्थितियों को ध्यान में रखते हुए बदलाव करने होंगे, पृथ्वी का 71% हिस्सा पानी से ढका हुआ है 1.6 प्रतिशत पानी जमीन के नीचे और 97% सागरो और महासागरों में है जो पीने के काम नहीं आता है केवल 3% पानी ही पीने के लायक है विश्व जल दिवस का उद्देश्य दुनिया के सभी देशों में स्वच्छ और सुरक्षित जल को सभी लोगों तक पहुंचाने के साथ-साथ जल के संरक्षण पर भी ध्यान देना है|
उपरोक्त बात नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल के तहत सोसाइटी योग ज्योति इंडिया के तत्वाधान में मिडास परिवार नमो नमो क्रांति फाउंडेशन अनादि सेवा समिति के सहयोग से विश्व जल दिवस एवं चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन हिंदू नव वर्ष के अवसर पर आयोजित वेबीनार शीर्षक जल है तो कल है जल ही जीवन है पर अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्त अभियान के प्रमुख नशा मुक्त समाज आंदोलन अभियान कौशल के नेशनल ब्रांड एंबेसडर योग गुरु ज्योति बाबा ने कही, ज्योति बाबा ने कहा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने भी एक बार अपने भाषण के दौरान लोगों को चेताते हुए कहा था कि ध्यान रहे कि आग पानी में भी लगती है और कहीं ऐसा ना हो कि अगला विश्वयुद्ध पानी के मसले पर हो, ज्योति बाबा ने आगे बताया कि संयुक्त राष्ट्र के छठे महासचिव बुतरस घाली ने करीब तीन दशक पहले ही यह कह दिया था|
अगर समय रहते इंसानों ने जल की महत्ता को नहीं समझा तो अगला विश्वयुद्ध जल को लेकर होगा,ज्योति बाबा ने आगे कहा कि 28 जुलाई 2010 को संयुक्त राष्ट्र ने जल को मानवाधिकार घोषित कर दिया था परंतु आंकड़े बताते हैं कि स्वच्छ जल की अनुपलब्धता और दूषित जल को पीने से दुनियाभर में प्रतिदिन लगभग 2300 लोगों की मृत्यु हो जाती है और इसके अलावा दुनिया में 86% से अधिक बीमारियां दूषित और असुरक्षित पानी पीने से होती है इनसे बचने का एकमात्र उपाय जल संरक्षण की भारतीय पुरातन पद्धतियों को पुनः जीवित करना होगा।
मिडास परिवार के उपेंद्र मिश्रा व शैलेंद्र पांडे ने कहा कि आज समाज में विकास के नाम पर बड़ी बड़ी इमारतें बनाई जाती हैं लगातार पेड़ काटे जा रहे हैं उतने लगाएं नहीं जा रहे हैं जलस्रोत सूखते जा रहे हैं नदियों को कारखाने का कचरा दूषित कर रहा है भूमिगत जल खिसकता जा रहा है यह सब भविष्य के लिए खतरे की घंटी है राष्ट्रीय भागवत आचार्य सुमित शास्त्री ने कहा कि जल संरक्षण यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ जल उपलब्ध हो प्रदेश की प्रमुख समाजसेविका बिंदु अग्रवाल इकबाल कौर रोज सिंह व प्रीति सोनकर ने संयुक्त रूप से कहा कि जल संरक्षण एवं प्रबंधन में महिलाओं की सक्रिय सहभागिता से जल संरक्षण की समस्या काफी हद तक दूर की जा सकती है|
इतिहास की ज्यादातर सभ्यताओं ने जल और महिलाओं को जीवन का स्रोत माना है इसीलिए महिलाओं को जल प्रबंधन एवं स्वच्छता संबंधी परियोजनाओं में शत प्रतिशत सफलता के लिए शामिल किया जाना आवश्यक है अंत में योग गुरु ज्योति बाबा ने नशा मुक्त जीवन का मंत्र सभी को देते हुए जल संरक्षण का संकल्प कराया।