सत्संग से ज्ञान और ज्ञान से होती है ईश्वर की प्राप्ति -महर्षि चतुरानंद महाराज।

झारखण्ड

झारखण्ड से अभिषेक सिंह की रिपोर्ट बी.न्यूज़

सत्संग से ज्ञान और ज्ञान से प्राणी को ईश्वर की प्राप्ति होती है। उक्त अमृत वाणी बिहार के बौसी मनियारपुर से दुमका जिला के रामगढ़ प्रखंड मुख्यालय परिसर के सामने धोबा रामगढ़ में दो दिवसीय जिला संतमत सत्संग के 34वां जिला अधिवेशन में महर्षि चतुरानंद महाराज बोल रहे थे।

इसके पुर्व मुख्य अतिथियों में प्रखंड प्रमुख बाबुलाल मुर्मू, दिवाकर मंडल, जयप्रकाश अग्रवाल, योगेन्द्र साह ने मंचासीन संतों को माल्यार्पण कर उनका स्वागत किया,वहीं छात्राओं ने संतों के स्वागत में स्वागत गान प्रस्तुत किया। अपने प्रवचन में संतों ने कहा मनुष्य को चोरासी लाख योनियों में भटकने के बाद परमपिता परमेश्वर ने मनुष्य तन प्रदान किया। लेकिन आज मनुष्य अपने परमपिता परमात्मा को भुलाकर ईश्वर द्वारा सुन्दर तन का सदुपयोग के जगह दुरुपयोग कर रहा है|

 सांसारिक मोह माया,लोभ के मकड़जाल में फंसे कर रह गया। संतों ने कहा हे मानव इस शरीर का सदुपयोग करो अपने माता पिता गुरुजनों का आज्ञाकारी बनो, संतो ने संतमत सत्संग के महत्व पर प्रकाश डालते कहा कि सत्संग की संगती नहीं करने वाला ईश्वर को नहीं मानने वाला नास्तिक है कहलाता है|

ऐसे प्राणी को नाना प्रकार के कष्टों को झेलना पड़ता है। हे प्राणी इस कलियुग में ईश्वर की प्राप्ति आत्म ज्ञान तथा मुक्ती के लिये प्राणी का एक मात्र रास्ता संतसंग की संगती है। वहीं संतों के अमृतवाणी सुनने के लिये हजारों की संख्या में भक्त संतसंग पंडाल पहुंचे।

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