मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश से राजेन्द्र कसेरा की रिपोर्ट बी.न्यूज़
महाबली दक्षिण मुखी लेटे हनुमान जी सकलडीहा (चंदौली) 700 वर्ष पहले खुदाई में प्रकट हुए स्वयंभू बजरंगबली की मूर्ति: मंदिर में भभूत खाते ही होती दूर असाध्य बीमारियां, मत्था टेकते ही सुनते मन की फरियाद | भारतीय अध्यात्म की दुनिया में दक्षिण मुखी हनुमान जी की अपनी अलग ही महत्ता है। द
क्षिण मुखी लेटे हनुमान मंदिर भारत में चंद स्थानों पर हैं। उत्तर प्रदेश में सकलडीहा (चंदौली) के औड़ौली स्थित हनुमान मंदिर में स्वयंभू हनुमान की मूर्ति अलौकिक व आस्था की प्रतीक है। मान्यता है कि मंदिर की चौखट पर सिर झुकाने वालों की मुराद अवश्य पूरी होती है। मंदिर में उध्र्वाकार दक्षिण मुखी हनुमानजी को लेकर तमाम किवदंतियां प्रचलित है।
मंदिर का इतिहास लगभग 700 सौ वर्ष पुराना है। उस समय वहां झाड़ झंखाड़ व जंगल हुआ करता था। कुछ ग्रामीण उस स्थान पर फावड़े से खोदाई कर रहे थे। तभी उनका फावड़ा किसी कठोर वस्तु से टकराया। सावधानीपूर्वक खुदाई करने पर मिट्टी के नीचे हनुमान जी मूर्ति आकार लेने लगी। लेटे मुद्रा में हनुमान जी को देख ग्रामीणों ने मूर्ति को सीधे करने के उद्देश्य से और गहरी खुदाई की और उसे मंदिर का आकार दे दिया।
आज मंदिर के दक्षिण दिशा में मुंह किए वी हनुमान जी की लेटी हुई मुद्रा की मूर्ति भक्तों में आस्था की केंद्र है। दक्षिण मुखी हनुमान जी के दरबार में मत्था टेकने से ही मन की फरियाद पहुंच जाती हैं । महाबली दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर सकलडीहा चंदौली में असाध्य रोगों का इलाज होता है । यहां भभूत दवा का कार्य करती है ।