शासन की मंशा को तार तार कर रहे प्रधान व पंचायत सचिव

सुल्तानपुर

 

से सुशांत सिंह की रिपोर्ट बी न्यूज

  • टिकरिया गांव में मनरेगा योजना में तालाब की खुदाई में गरज रही जेसीबीशासन की मंशा को तार तार कर रहे प्रधान व पंचायत सचिव अनीता श्रीवास्तव 


भारत में वैसे मजदूर जिन्हें काम करने का तरीका न आता हो, उन्हें सीधे तौर पर आर्थिक सहायता पहुंचाने के लिए भारत सरकार ने 7 सितंबर 2005 से महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की शुरुआत की थी।

योजना का मकसद था किसी भी ग्रामीण परिवार के वयस्क सदस्यों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराना, यानी कि सरकार वैसे किसी भी अकुशल मजदूर को प्रत्येक वित्तीय साल में 220 रुपये की दिहाड़ी पर 100 दिनों तक का रोजगार देगी जो काम करने को इच्छुक हों। लेकिन, ये योजना ज़मीन पर कितनी कारगर है,यह सब जानते हैं।

प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक PRS यानी पंचायत रोजगार सेवक होता है, जिसका काम मुख्य पंचायत के सभी जॉब कार्ड धारकों को हर हाल में 100 दिनों का काम उपलब्ध कराना होता है। जॉब कार्ड धारी मजदूरों को काम देने के लिए PRS को पंचायत में तरह तरह के काम करवाने पड़ते हैं। अब अगर पीआरएस जॉब कार्ड वालों को काम नहीं दे सका तो मनरेगा का नियम कहता है कि काम न पाने वाले जॉब कार्ड धारकों को बेरोजगारी भत्ता दिया जाये जिसका अपना एक नियम है। यानी कि मनरेगा योजना में काम करने वाले मजदूरों का जॉब कार्ड अनिवार्य है, साथ ही उनकी दिहाड़ी 220 रुपए प्रतिदिन की होती है।

लेकिन जिले के दूबेपुर विकास खंड के टिकरिया  गांव में  प्रधान मंजू देवी और पंचायत सचिव अनीता श्रीवास्तव केंद्र की मोदी सरकार की योजना में पलीता लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं, ताज़ा मामला सामने आया है कि प्रधान मंजू देवी और पंचायत सचिव अनीता श्रीवास्तव ने ग्राम पंचायत में स्थित तीन तालाब की खुदाई मनरेगा से करवा रहे हैं लेकिन इस खुदाई में मजदूरों की जगह जेसीबी दिहाड़ी मजदूरी कर रही है।

जेसीबी मनरेगा कार्य में गरज रही है जो चर्चा का विषय बना हुआ है।अब देखना ये है कि ऐसे भ्रष्टाचारी लोगों पर जिला प्रशासन क्या करता है, वही ग्राम पंचायत के एक निवासी ने खंड विकास अधिकारी से इस बात की शिकायत भी दूरभाष पर की है,जिस पर जबाब आया कि जांच कराई जाएगी। अब देखना दिलचस्प होगा कि इस प्रकरण पर किस के ऊपर गाज गिर सकती है।

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