प्राइवेट डॉक्टरों ने सरकार के विरोध में की हड़ताल

लखीमपुर खीरी से मोहम्मद अहमद की रिपोर्ट बी न्यूज़ 

राजस्थान में डॉक्टरों पर हो रहे अत्याचार के राष्ट्रव्यापी विरोध के समर्थन में आज जिले के प्राइवेट डॉक्टरों ने निजी गेस्ट हाउस में सांकेतिक हड़ताल व धरना प्रदर्शन किया। वही हड़ताल कर रहे डॉक्टरों की मांग है उन पर राइट टू हेल्थ को जबरन न थोपा जाए । इसको लागू करने से पहले डॉक्टरों की राय भी ली जाए।

संगठन के अध्यक्ष डा अमरजीत सलूजा ने कहा इस नियम में कोई भी मरीज अगर आपके पास आता है जिसके पास पैसा नहीं है तो उसका भी इलाज आपको करना पड़ेगा इतना ही नहीं इमरजेंसी भी आपको देखनी होगी चाहे उसके पास पैसा हों या ना हो उसको अपने खर्चे पर एंबुलेंस से सही जगह पर पहुंचाएं।

सरकार ने नियम तो बना दिया लेकिन उसके लिए कैसे भुगतान किया जाएगा उसकी कोई पॉलिसी नहीं बनाई है। वही डॉक्टर पवन गर्ग ने कहा की आरटीएच चीज गलत नहीं है हर व्यक्ति को स्वास्थ्य का अधिकार है लेकिन सरकार को मरीज और डाक्टरों को सुनकर कोई नियम लाना चाहिए। बिना दोनों को सुने अगर कोई नियम सरकार लाती है तो उसको डॉक्टरों पर थोपने जैसा ही कहा जाएगा। सरकार यह बिल इसलिए लाई है की ये इलेक्शन का साल है,इलेक्शन के दौर में फ्री की रेवड़ी बाटी जाती है सरकार की मंशा बेहतर स्वास्थ्य देना ना होकर वोट बटोरने की है।

इस नियम के आजाने के बाद इमरजेंसी को लेकर मरीजों और डॉक्टरों के बीच में आपसी सौहार्द बिगड़ेगा मारपीट की घटनाएं सामने आएंगी।वहीं हड़ताल कर रही महिला डॉक्टर रूबी मेहता ने कहा कि सरकार को राइट टू हेल्थ को लेकर प्राइवेट डाक्टर पर डालना गलत है। हम पब्लिक के साथ हैं चाहे पॉलीटिशियन हो या पत्रकार हम किसी से पैसा नहीं लेते फिर भी अगर सरकार जबरन थोपती है तो उसका हमलोग उसका कड़ा विरोध करेंगे।

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