भगवान शनि की चमत्कारिक दिव्य मूर्ति उल्का पिंड से निर्मित अमर रूप में है विराजित |

बुंदेलखंड

बुंदेलखंड से राजेंद्र कसेरा की रिपोर्ट बी.न्यूज़

सिद्ध पीठ शनिचरा धाम मुरैना  स्वयं हनुमान जी लेकर आये थे शनि देव को रावण की कैद से किया था आजाद भगवान शनि की चमत्कारिक दिव्य मूर्ति उल्का पिंड से निर्मित अमर रूप में विराजित |

हम सभी शनिदेव की महिमा से भली भांति परिचित होंगे। देश भर में कई चमत्कारिक शनि मंदिर हैं। जहाँ शनि देव की महिमा अमरमपार है। चंबल में एंती गांव हैं जहाँ पर विराजित शनि देव का देश भर में विशेष महत्व है। भगवान हनुमान रावण की कैद से छुड़वा कर शनि देव को यहीं पर लाये थे। तब से यहाँ पर शनि देव विराजमान हैं। बताया यह भी जाता है कि यहाँ शनि मंदिर पर प्रतिष्ठित शनि देव की प्रतिमा आसमान से टूट कर गिरे एक उल्कापिंड से निर्मित है जिससे यह स्थान विशेष प्रभावशाली है। बताया जाता है कि आज भी यहाँ अमर रूप में शनि देव विराजमान हैं। शनि देव के चमत्कार को देखते हुए ग्वालियर के सिंधिया राज घराने द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया था।

रावण की कैद से छुड़वा कर बजरंगी ने शनि देव को छोड़ा था यहाँ |

शनिदेव की महिमा के आगे सब बेअसर होता है। जिस पर शनि देव की दिव्य दृष्टि पड़ जाए समझ लो वह भव सागर से पार हो जाता है। मुरैना जिले में आने वाले इस शनिचरा मंदिर के बारे में एक कथा विख्यात है। बताया जाता है कि जब भगवान महाबली हनुमान रावण की लंका जलाने वाले थे तब उनकी नजर उस जगह पर पड़ी जहाँ पर रावण ने अन्य देवताओं के साथ ही शनि देव को भी बंदी बना रखा था। शनि देव ने हनुमान जी से रावण की कैद से छुड़ाने का आग्रह किया। जिसके बाद हनुमान ने शनि देव को रावण की कैद से छुड़वाया। रावण की कैद में रहने से शनि देव कमजोर हो गए थे तो उन्होंने हनुमान से विनती करी कि वे उन्हें किसी सुरक्षित जगह पर भेज दें। जिसके बाद हनुमान ने शनि देव को यहाँ पर बने पर्वत पर लाकर छोड़ दिया। शनि देव के प्रकोप से ही रावण की लंका तो जली ही साथ ही साथ उसके कुल का भी विनाश हो गया।

जहाँ शनि देव गिरे वहाँ आज भी हैं गड्ढा |

मुरैना जिले में स्थित शनिचरा मंदिर के चमत्कार किसी से नहीं छुपे हैं। यहाँ पर लोगों की अपार आस्था है। शनि देव सबकी मुरादें भी पूरी करते हैं। बताया जाता है कि जब शनि देव को रावण की कैद से छुड़वा कर हनुमान जी ने उन्हें यहाँ छोड़ा था तो शनि देव जिस जगह गिरे थे वहाँ एक बड़ा-सा गड्ढा हो गया था। यह गड्ढा आज भी यहाँ पर मौजूद है। शनिवार एवं शनिश्चरी अमावस्या के दिन आज भी यहाँ श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।

चमत्कार से प्रभावित होकर महाराजा सिंधिया ने करवाया था मंदिर का जीर्णोद्धार |

भगवान शनि देव इस चमत्कारिक जगह पर त्रेतायुग में आकर विराजमान हुए थे। बताया जाता है कि यहाँ पर शनि देव के मंदिर का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने करवाया था। जिसके बाद शनि देव की महिमा एवं चमत्कारों से प्रभावित होकर ग्वालियर के तत्कालीन महाराजा दौलतराव सिंधिया ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। वर्तमान में यह मंदिर मध्य प्रदेश सरकार के अधीन है। जिसका प्रबंधन मुरैना जिला प्रशासन द्वारा किया जाता है।

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