सुल्तानपुर
सुल्तानपुर से सुशांत सिंह की रिपोर्ट बी न्यूज
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मार्च 2023को होलिका दहन मनाने के नियमों
सुल्तानपुर के धनपतगंज ब्लाक के मायंग ग्राम मे स्थित 200 साल पहले बडेदेव बाबा की मंदिर के पुजारी ने यह भी बताया की पूरे गाव के सुरक्षा करते है बाबा जी गाव की किसी भी ब्यकित के उपर कोई आच नही आता है वही मंदिर के पुजारी दिवाकर जी होलिका दहन के नियमो को भी बताया Holika : होली का त्योहार पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। जहां होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन होली खेली जाती है। इस साल हिलकादहन 7 मार्च को और होली 8 मार्च को मनाई जाएगी। मान्यता के अनुसार होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। होलिका दहन से पहले होली के दिन कुछ लकड़ियों को इकट्ठा करके जलाया जाता है।
लेकिन होली के दिन लकड़ी का चुनाव थोड़ी सावधानी से करना चाहिए। मान्यता के अनुसार कुछ पेड़ों की लकड़ी का इस्तेमाल करने से भगवान आपसे नाराज हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं इनके बारे मे आरटीबीएस ऑफरबिक्री के लिए पुरानी कारें, कीमतें आपको चौंक देंगी और अधिक जानकारी प्राप्त करें इन पेड़ों की लकड़ी का प्रयोग न करें मान्यता के अनुसार होलिका दहन के लिए पीपल के पेड़, शमी के पेड़, आम के पेड़, आंवले के पेड़, नीम के पेड़, केले के पेड़, अशोक के पेड़, बेल के पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
क्योंकि मान्यता के अनुसार इन पेड़ों का बहुत महत्व होता है। इसके अलावा हरे पौधे या उनकी शाखाओं का उपयोग करना शुभ नहीं माना जाता है।
इस पेड़ का प्रयोग करेंहोलिका दहन के लिए आप अरंडी और गूलर की लकड़ी का उपयोग कर सकते हैं। पारंपरिक धर्म में गूलर के पेड़ को बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसे में आप इस पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल होलिका दहन के लिए कर सकते हैं।
उपले और कंडेहोलिका दहन में गोबर के पेठे का उपयोग करना शुभ माना जाता है। मान्यता के अनुसार इससे वातावरण भी शुद्ध रहता है। इसके अलावा पूजा में गोबर का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है।पंजाब केशरीचरस जलाने आएंगेहोलिका दहन में आप लकड़ी और गोबर के चिता के अलावा खर-पतवार को भी जला सकते हैं। होली पर इसका प्रयोग करने से हरे पेड़ नहीं कटेंगे और होलिका पर जलाने से वातावरण स्वच्छ हो जाएगा