इस मोहब्बत से बड़ी यहां कोई सजा नहीं तेरा कुछ गया नहीं मेरा कुछ बचा नही |

 उन्नाव

 उन्नाव से राजेन्द्र कसेरा की रिपोर्ट बी.न्यूज़

ज़माना बदल गया जनाब वर्ना धर्म ,मजहब, ऊंच ,नीच ,अपना पराया ,इज्जत आबरु का पैमाना इस तरह नहीं बदलता यूं तो कहा गया है प्यार अन्धा होता है उसको कुछ नहीं दिखाई देता धर्म कर्म जाति मजहब मायने नहीं रखता चाहे जमाना कितना भी कर ले शख्ती प्यार के खेल करने वाले मौत से भी नहीं डरते यह अलग बात है कि इस दकियानूसी समाज मे बिरले को ही ख्वाबों की मन्जिल नसीब होती है।

अधिकतर को तो पश्चाताप का संताप उम्र भर झेलना पड़ता है। फिर भी सदियों से चली आ रही मोहब्बत की कहानी आज भी परवान चढ़ रही हैं लैला मजनू हीर रांझा तो इतिहास की बात बनकर रह गये वर्तमान में तो मुहब्बत का तूफान चल रहा है। पुरातन युग बदल रहा है आधुनिकता की हवा हर तरफ झंझावात कर रही है। पाश्चात्य सभ्यता घर घर तबाही की इबारतें तहरीर कर रही है।आज जब भारत विश्व गुरु बनने के तरफ तेजी से आगे बढ़ रहा है|

सनातनी परम्परा पुनः पनपने लगी है ऐसे हालात में लभ जेहाद का खुला खेल इस देश के वातावरण को प्रदूषित करने के लिए लगातार‌ जोर आजमाइस कर रहा है। आधुनिक आवरण में जिस तरह का वातावरण युवा पीढ़ी को नसीब हो गया है उसका खामियाजा सभ्य समाज भुगत रहा है।जिस औलाद को फूल की तरह पोस पाल कर रखा वहीं जब घर की मान मर्यादा इज्जत आबरू की तिलांजलि देकर रास्ता बदल दे अपने मां बाप को इष्क के बुखार में पहचान से मुकर जाएं सोचिए उस मां बाप पर क्या गुजरता होगा! पाश्चात्य संस्कृति गांव से लेकर शहर तक अपनी जड़ जमाती जा रही है।

संस्कार विहीन होते सनातनी परिवार लभ जेहाद का खुलेयाम हो रहे हैं शिकार सोसल मीडिया पर मध्य प्रदेश के जबल पुर शहर में एक ब्राह्मण परिवार का अजीबो गरीब फैसला पूरे देश में चर्चा का बिषय बना हुआ है।जिस औलाद को जमाने की सारी खुशियां लुटाकर बचपन से जवानी की दहलीज तक पहुंचाया वही बे वफ़ा होकर अमर्यादित आचरण करते हुए दिग्भ्रमित हो जाय,सरेयाम धर्म बदलकर मजहबी उन्माद का शिकार बन जाय तो फिर सोचिए खता किसकी है समाज की या फिर परवरिश की इस सवाल को इस लिए उठाया जा रहा कि भारतीय संस्कृति को त्याग कर जिस राह पर समाज चल रहा है|

उसमें अहम किरदार अभिभावक ही निभा रहे हैं। लड़की लड़का एक समान तो कौन करेगा मर्यादा का भुगतान ख्वाबों की बस्ती में अपनों के कर्मों से ग़ाफ़िल लोग वर्तमान में बदलाव की प्रदूषित हवा का लगातार शिकार हो रहे हैं।आधुनिकता की महफ़िल में सरेयाम ब्वाय फ्रेंड का प्रचलन, उस पर भी तूर्रा यह की परिवार का भरपूर समर्थन ही मान मर्दन का फार्मूला बन रहा है। तेजी से बदल रहे आवरण मे कलंकित हो रही मर्यादा का स्थाई निराकरण बहुत ही मुश्किल मुकाम आ खड़ा हुआ है।

जिस तरह का कदम जबल पुर में एक ब्राहमण परिवार ने उठाया है अगर हर अभिभावक उस रास्ते पर चल निकले तो भरे समाज मे बे आबरू करने वाली औलादों के लिए सबक होगा जिस लड़की को पिता के द्वारा धार्मिक रीति रिवाज के हिसाब से कन्यादान करना था उस पुत्री के नीचे कर्म के चलते बाप को जीते जी मृतक मानकर श्राद्धकर्म और पिंडदान करना पड़ा इस अजूबा फैसले से हर कोई नसीहत ले रहा है|

 लगातार हफ्तों से सुर्खियां बटोर रहा यह फैसला आधुनिक पीढी के लिए सबक होगा प्रबुद्ध वर्ग के दिल दिमाग में हलचल है परिवेश बदल रहा पल पल है।बिगड़ी औलादों के लिए जिनको आबरु का ख्याल नहीं मां बाप की लूटती इज्जत का मलाल नहीं उनके लिए यही सजा होनी चाहिए यह चर्चा आम हो गयी है।

Leave a Comment