उन्नाव
उन्नाव से राजेंद्र कसेरा की रिपोर्ट बी.न्यूज़
पता नहीं क्यों? स्कूल में अध्यापक खूब कान खींचते थे डंडों से पिटाई होती थी लेकिन कोई बच्चा स्कूल में डिप्रेशन के कारण आत्महत्या नहीं करता था पता नहीं क्यों
बचपन में महँगे खिलौने नहीं मिलते थे लेकिन हर खेल बहुत आनंदित करता था पता नहीं क्यों घर कच्चे होते थे कमरे कम होते थे लेकिन माता पिता कभी वृद्धाश्रम नहीं जाते थे। पता नहीं क्यों घर में गाय की कुत्ते की अतिथि की रोटियां बनतीं थी फिर भी घर का बजट संतुलित रहता था|
आज सिर्फ़ अपने परिवार की रोटी महंगी हो गई है पता नहीं क्यों महिलाओं के लिए कोई जिम या कसरत के विशेष साधन नहीं थे फिर भी महिलाएं संपूर्ण रूप से स्वस्थ्य रहती थी पता नहीं क्यों भाई भाई में भाई बहनों में अनेक बार खूब झगड़ा होता था|
आपस में कुटाई तक होती थी देवरानी जेठानी के झगड़े आम थे सास का रुतवा हमेशा रहता था परंतु आपस में मनमुटाव कभी नहीं होता था पता नहीं क्यों परिवार बहुत बडे होते थे पडोसियों के बच्चे भी दिनभर खेलते थे फिर भी घरों में ही शादियां होती थी|
पता नहीं क्यों माता-पिता थोडी सी बात पर थप्पड़ मार देते थे लेकिन उनका मान-सम्मान कभी कम नहीं होता था पता नहीं क्यों ऐसे अनेक क्यों क्यों के सवाल दिल में उठ रहे हैं। आप सभी तक इस क्यों को पहुँचाने की कोशिश है । शायद फिर से पहले जैसा सौहार्दपूर्ण वातावरण आपसी प्रेम एकता का माहौल बने।