धर्म
मध्य प्रदेश से सुरेश पटेल की रिपोर्ट बी न्यूज
- प्रभु भल कीन्ह मोहि सिख दीन्हीं। मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्हीं॥
- ढोल, गंवार, शुद्र, पशु , नारी ।सकल ताड़ना के अधिकारी॥
ये चौपाई समुद्र द्वारा श्रीराम के क्रोधित हो जाने पर कही गई।
अर्थ:- प्रभु ने अच्छा किया जो मुझे शिक्षा दी, किंतु मर्यादा भी आपकी ही बनाई हुई है। ढोल, गँवार, शूद्र, पशु और नारी – इन सभी के लिए शिक्षा अति आवश्यक है। त्रेता युग में शूद्र उस व्यक्ति को कहा गया जिसे स्वयं की उन्नति का ज्ञान नहीं था, आज की भाषा में नौकरी करने वाले जो दुसरो पर आश्रित हो।ढोल(वाद्ययंत्र), गँवार(बुध्दिहीन्), पशु(जानवर), नारी(स्त्री)
विश्व शांति और मानव कल्याण के लिए सत्य को पहचाने और सनातन धर्म की और लौटे। सनातन सभा का आयोजन संपूर्ण भारत के मंदिरो में हर शनिवार रात्रि ८ बजे(१५ मिनट के लिए) किया जा रहा है|
आप भी आपने आसपास के मंदिरो में हर शनिवार रात्रि ८ बजे परमआनंद को देने वाली कल्याण करने वाली सनातन सभा का आवाहन कीजिये और सम्मिलित होइए। ५ मिनट ईश्वर की वंदना और १० मिनट किसी वृद्ध या सर्वमान्य व्यक्ति द्वारा सनातन धर्म की रक्षा एवं उसके महत्त्व पर चर्चा करे।