माता सरस्वती की जन्म कथा का क्या है रहस्य।

मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश से सुरेश पटेल रिपोर्ट बी.न्यूज़

आप सभी देश वासियों को बी.न्यूज़ की तरफ से बसन्त पंचमी और गणतंत्र दिवस की मंगलकामनाऐं।

पुराणो मे माता सरस्वती के बारे मे भिन्न भिन्न मत मिलते है, पुराणो मे ब्रहा जी के मानस पुत्री का जिक्र है,

लेकिन जानकार के अनुसार :–सरस्वती जी ब्रह्मा जी की पुत्री के रुप मे प्रकट हुई ऐसा कही भी उल्लेख नही मिलता है.

एक अन्य पौराणीक उल्लेख के अनुसार देवी महालक्ष्मी ( लक्ष्मी नही ) से जो उनका प्रधान रुप उत्पन्न हुआ.देवी का वही रुप सरस्वती कहलाया. हांलाकी इसपर शोध किये जाने की जरुरत है की माता सरस्वती किसकी पुत्री थी.

सरस्वती माँ की उत्पत्ति कथा :-

हिन्दु धर्म के दो ग्रंथो सरस्वती पुराण (यह पुराण १८ पुराणो मे शामिल नही है) और मतस्य पुराण मे सृष्टि के रचईता ब्राह्मा जी का सरस्वती से विवाह का प्रसंग है.जिसके फलस्वरुप इस धरती के प्रथम मानव मनु का जन्म हुआ.कुछ विद्वान मनु की पत्नी शतरुपा को ही सरस्वती मानते है.सरस्वती को वागीश्वरी,भगवती,शारदा, विणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामो से पूजा जाता है. संगीत की उत्पत्ति करने के कारण वह संगीत की देवी भी हैं| बसंत पंचमी के दिन को इनके जन्मोत्सव के रुप मे मनाया जाता है।

मतस्य पुराण मे यह कथा थोडी सी भिन्न है:- मतस्य पुराण के अनुसार ब्राह्मा के पांच सिर थे.कालांतर मे उनका पांचवा सिर शिव जी ने काट दिया था.जिसके चलते उनका नाम कपालिका पडा.एक अन्य मान्यता के अनुसार उनका ये सिर काल भैरव ने काट दिया था.

कहा जाता है की जब ब्राह्मा नेसषष्टि की रचना की तो वह इस समस्त ब्राह्माण्ड में अकेले थे.ऐसे मे उन्होने अपने मुख से सरस्वती,सान्ध्य,ब्राह्मी को उत्पन्न किया.सरस्वती के प्रति आकर्षित होने लगे और लगातार उनपर दृष्टि डाले रखते थे.ब्राह्मा की दृष्टि से बचने के लिए सरस्वती चारो दिशाओं मे छिपती रही.लेकिन वह उनसे नही बच पाई इसलिए सरस्वती आकाश मे जाकर छिप गई.लेकिन अपने पांचवे सिर से ब्राह्मा ने उन्हे आकाश मे भी खोज निकाला और उनसे सृष्टि की रचना मे सहयोग करने का निवेदन किया.

सरस्वती से विवाह करने के पश्चात सर्व प्रथम स्वयंभु मनु को जन्म दिया.ब्राह्मा और सरस्वती की यह संतान पृथ्वी पर जन्म लेने वाला पहला मानव कहा जाता है.लेकिन एक अन्य कथा के अऩुसार स्वसंभु मनु ब्राह्मा के मानस पुत्र थे।

मां सरस्वती की कृपा से ही विद्या,बुद्धि,वाणी,और ज्ञान की प्राप्ति होती है.देवी कृपा से ही कवी कालिदास ने यश और ख्याती प्राप्त की थी|बाल्मीकि,वशिष्ठ,विश्वामित्र,शौनक और व्यास जैसे महान ऋषि देवी साधना से ही कृतार्थ हुए थे।

मां सरस्वती की उत्पति सत्वगुण से मानी जाती है.इसलिए इन्हे श्वेत वर्ण की सामग्रीयां विषेश प्रिय है। जैसे श्वेत पुष्प,श्वेत चंदन,दूध,दही,श्वेत वस्त्र,तिल के लड्डु ।प्राचीन काल मे बालको को इस दिन से ही शिक्षा देना प्रारंभ किया जाता था.और आज भी यह परम्परा जीवित है !!

मंत्र :- ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नम:

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