100 दिन के कार्यकाल में एमसीबीयू में भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस |

छतरपुर

छतरपुर से राजेन्द्र कसेरा की रिपोर्ट बी.न्यूज़

छतरपुर। एमसीबीयू ,छतरपुर में 22 जून को 100 दिन का कार्यकाल पूरा कर लेने पर कुलसचिव प्रो. एस.डी. चतुर्वेदी ने बताया कि उनके 100 दिन के कार्यकाल में भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी रही है। इस कार्यकाल में विश्वविद्यालय में शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालयों से संबद्धता एवं निरंतरता की करोड़ों रुपए की बकाया राशि वसूल की गई है।इससे पहले राशि नहीं शपथ पत्र से काम चल जाता था ।

100 दिवस के कार्यकाल में अनेक अशासकीय महाविद्यालय जिनका अस्तित्व ही नहीं था,कई वर्षो से शिक्षा माफियाओं द्वारा चलाए जा रहे थे, उनको ढूंढ कर बंद करने की कार्यवाही जारी है। इसी सिलसिले में तीन महाविद्यालयों को नोटिस जारी कर बंद करने की प्रक्रिया विचाराधीन है ।भविष्य में दर्जनों महाविद्यालयों को नोटिस जारी कर बंद करने की कार्यवाही की जाएगी।कई वर्षो से बिना भूमि एवं बिल्डिंग के चलने वाले महाविद्यालयों को चलाने वाले शिक्षा माफिया और उनके संरक्षक कई गुनी ताकत से एकत्र होकर अनर्गल प्रचार-प्रसार करेंगे।

स्टेडियम की दुकानों पर वर्ष 2016 से किराया ना देने वाले दुकानदारों की सूची मंगवा कर उनसे वसूली की कार्यवाही की जा रही है। अस्तित्व ना होने के बावजूद भी शैक्षणिक संस्थाओं के संचालक और उनको पोषित करने वाले पूर्व अधिकारियों में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। इसीलिए रोजाना नए-नए हथकण्डों के माध्यम से विश्वविद्यालय को लगातार सुर्ख़ियों में रखने का कुप्रयास किया जा रहा है।

विश्वविद्यालय में हुई चतुर्थ श्रेणी भर्ती प्रक्रिया के बारे में कुलसचिव डॉ. एसडी चतुर्वेदी ने बताया कि यह प्रक्रिया कार्यपरिषद की 23 वीं बैठक 22 दिसंबर 22 से प्रचलन में है एवं 25 वीं कार्यपरिषद की बैठक 18 अप्रैल 2023 को कार्यपरिषद एवं कार्यपरिषद द्वारा बनाई गई 7 सदस्यीय समिति द्वारा जारी है। इसमें कुलसचिव का कोई भी स्वतंत्र निर्णय नहीं है।

आज दिनांक तक भर्ती हुई ही नहीं की गई है, तो फिर घोटाला कैसे हो गया? कार्य परिषद के द्वारा लिए गए निर्णय में चयन प्रक्रिया में केवल साक्षात्कार के आधार पर चयन करने का निर्णय लिया गया था तथा यह यह भी निर्णय लिया गया था कि यदि 16 पदों के लिए 160 से अधिक आवेदन आते हैं, तो लिखित परीक्षा के माध्यम से परीक्षार्थियों की संख्या कम करके के साक्षात्कार के द्वारा भर्ती की जाएगी।

भर्ती के संबंध में विज्ञापन की शर्त 4 में यह यह प्रावधान किया गया कि कुलसचिव के पास भर्ती प्रक्रिया को किसी भी स्तर पर बिना किसी कारण के निरस्त करने का अधिकार सुरक्षित रहेगा। वर्तमान परिपेक्ष्य में माननीया कुलपति प्रो शुभा तिवारी द्वारा एक तटस्थ जांच कमेटी बना दी गई है, जो मीडिया अथवा सोशल मीडिया में फैल रही अफवाहों एवं शिकायतों की जांच करेगी।

उच्च स्तरीय जांच के आधार पर चयन प्रक्रिया जारी रखने अथवा उसको निरस्त करने का निर्णय कार्यपरिषद के माध्यम से कुलसचिव द्वारा लिया जाएगा। यहां यह बताना उचित होगा कि यह प्रक्रिया माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन याचिकाओं के अंतिम निर्णय के भी अधीन है। अतः आज की तिथि में कोई भी नियुक्ति नहीं हुई है तो फिर भर्ती में घोटाला कैसे हो गया। कुलसचिव प्रो. एसडी चतुर्वेदी ने यह भी कहा कि जब तक इस पद पर कार्य करेंगे तब तक ना गलत काम करेंगे और ना ही करने देंगे।

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