यदि मनुष्य अपना भला चाहे तो सूर्योंदय से पूर्व ही शय्या का त्याग कर दे

brahm muhoortश्लोक : ब्रह्म मुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षय कारिणी।
तां करोति द्विजो मोहात् पादकृच्छे्ण शुद्धयति।।

अर्थात ब्रह्म मुहूर्त की निद्रा पुण्य कर्मों को नष्ट कर देने वाली होती है। इस समय जो भी व्यक्ति शयन करता है उसे इस पाप से छुटकारा पाने के लिए प्रायश्चित करना चाहिए अथवा पादकृच्छ नामक व्रत का अनुष्ठान करना चाहिए । अन्यथा शनै: शनै: उसे दुस्वप्न (खराब सपना) कलिदोष पित्रदोष आदि लगता है साथ ही उसकी आयु भी क्षीण होती है ।इतना ही नहीं वह नाना प्रकार के व्याधियों से ग्रसित होता रहता है।

busy life में नहीं दे पा रहे है अपने helth पर ध्यान तो अपनाएं ये तरीके:-

इसलिए सभी दोषों का शमन करनें एवं मनुष्य जाति का उत्थान करने के लिए शास्त्रों एवं पुराणों में वर्णित अनेकानेक श्लोकों मे से सबसे सरल श्लोक की व्याख्या करके लोगों को बताना चाहूंगा कि यदि मनुष्य अपना कल्याण चाहता है
तो वह आलस्य का त्याग कर प्रतिदिन सूर्योदय से चार घड़ी पहले यानि लगभग डेढ़ घंटा पूर्व ब्रह्म मुहूर्त (प्रात: काल सूर्योदय से पूर्व) में ही शय्या का त्याग कर दे और सर्वप्रथम नेत्र खुलते ही स्वत: अपने दोनों हाथों के हथेलियों का दर्शन निम्न मंत्र से करे ।

खेल मनुष्य के जीवन का अभिन्न अंग – दिनेश तिवारी

 

मन्त्र : कराग्रे वस्ते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती।
कर मूले तू गोविन्दम्प्रभाते कर दर्शनम।।

Brahm Muhurt

अर्थात अपने हाथ के दोनों हथेलियों में ही सभी देवी देवताओं का जैसे कर के अग्र भाग में लक्ष्मी मध्य भाग मे सरस्वती और मूल भाग में गोविंद का वास रहता है । ऐसे में प्रात: काल दोनों हथेलियों की अंजलि बनाकर उसका दर्शन करते हुए उक्त मंत्र कराग्रे वस्ते लक्ष्मी का उच्चारण किया जाए तो इससे उस व्यक्ति का दिन अच्छा व्यतीत होता है। तथा उसमें धर्म की बृद्धि होती है और अज्ञानी को ज्ञान की प्राप्ति होती है साथ ही निर्धन व्यक्ति धीरे धीरे धनी होने लगता है।
सिद्धार्थनगर से राजेश शास्त्री की रिपोर्ट बी न्यूज

1 thought on “यदि मनुष्य अपना भला चाहे तो सूर्योंदय से पूर्व ही शय्या का त्याग कर दे”

Leave a Reply to Manyta tiwari Cancel reply